मुजफ्फरपुर में जी कृष्णैया जिलाधिकारी गोपालगंज को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. आरोप तो यह भी था कि गैंगस्टर छोटन शुक्ला के एक भाई ने जिलाधिकारी को गोली भी मारी.
Saharsa 27 July : पूर्व सांसद आनंद मोहन को 31 साल पुराने अपहरण कांड में एमपी एमएलए कोर्ट ने बरी किया. लोकसभा उपचुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी गोपाल यादव के अपहरण कांड की सुनवाई एमपी एमएलए के विशेष कोर्ट में चल रही थी. 1991 लोकसभा चुनाव के अपहरण कांड की सुनवाई विशेष कोर्ट के एमपी एमएलए कोर्ट विशेष कोर्ट के न्यायाधीश है. एडीजे तीन विकास कुमार सिंह ने सबूत के अभाव में पूर्व सांसद को बरी किया. हालांकि पूर्व सांसद आनंद मोहन के समर्थकों में खुशी तो आई पर सांसद आनंद मोहन जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे.

सुनवाई के दौरान पूर्व सांसद ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया. कोर्ट के फैसले को सच्चाई की जीत बताया. पूर्व सांसद ने कहा कि जल्द सभी आरोपों से बरी होकर जेल से बाहर आएंगे. बिहार की राजनीति में फिर जुड़ेंगे और परिवर्तन लाएंगे. उन्होंने रिहाई को लेकर बिहार सरकार पर कटाक्ष करते कहा जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं और 14 वर्षों से भी अधिक समय से मैं जेल में बंद हूँ.
पूर्व सांसद ने कहा कि हम जानते हैं अंधेरा चाहे कितना भी घना क्यों नहीं हो सूरज को उगने से रोक नहीं सकता. इन सब बातों से हम घबराते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है नियति ने हमारे लिए बड़ी भूमिका तय कि हो. लेकिन हम निराश नहीं हैं, हताश नहीं हैं और हम मजबूती से अभी भी न्याय के प्रति न्यायपालिका के प्रति आस्था रखते हैं. जल्दी सभी आरोपों से मुक्त होकर बाहर आएंगे और बिहार की राजनीति में फिर मिलेंगे.

गौरतलब है कि 5 दिसंबर 1994 मुजफ्फरपुर के खबरा नेशनल हाईवे पर गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया पटना से लौट रहे थे. इसी दौरान उत्तर बिहार के नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की गैंगवार में हत्या हुई थी और उनकी हत्या के बाद शव यात्रा उनके गांव की तरफ जा रही थी नेशनल हाईवे पर. इसी दौरान तत्कालीन जिलाधिकारी उस रास्ते से गुजर रहे थे. लाल बत्ती गाड़ी देखकर भीड़ भड़क गई और जिलाधिकारी की गाड़ी पर हमला बोल दिया. जिसमें चालक और अंगरक्षक ने जिलाधिकारी को बचाने की पूरी कोशिश की पर बचा नहीं सके. सड़क पर जी कृष्णैया जिलाधिकारी गोपालगंज को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. आरोप तो यह भी था कि गैंगस्टर के एक भाई ने जिलाधिकारी को गोली भी मारी.

इस हत्याकांड ने बिहार की राजनीति और सियासत में तूफान लाया था. जिलाधिकारी हत्याकांड में पूर्व सांसद आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा हुई थी. पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और प्रोफेसर अरुण कुमार को भी मौत की सजा हुई थी. बाद में हाईकोर्ट ने इन सभी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.

राजनीतिक भूचाल वाले हत्याकांड में आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद, छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला, छात्र नेता हरेंद्र कुमार सभी को उम्र कैद की सजा सजा मिली थी. बाद में साक्ष्य के अभाव में इन सभी को बरी कर दिया गया था. आनंद मोहन के सजा की अवधि पूरी हो चुकी है 14 साल की सजा काट चुके हैं.
Bihar Gateway of Terrorists : विराटनगर में 2 किलो यूरेनियम के साथ 11 अफगानी और दो नेपाली गिरफ्तार – GoltooNews https://t.co/YuM1QGSwxm #BiharNews
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) July 27, 2022
बिहार में हुई जिलाधिकारी हत्याकांड बिहार के इतिहास में काला धब्बा है. आईएस जी कृष्णैया बहुत ही ईमानदार और सादगी पसंद वाले अधिकारी थे. 1985 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी भी थे और गोपालगंज के जिला अधिकारी भी थे जिनकी हत्या भीड़ ने कर, मुजफ्फरपुर पर एक धब्बा लगा दिया हमेशा के लिए.
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