Muzaffarpur 30 April : आरडीएस कॉलेज के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में Labour Day मजदूर दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ एमएन रिजवी ने कहा कि हर वर्ष मजदूर दिवस आता है। मजदूरों की दशा सुधार की चर्चा तो होती है मगर आज तक उनके हालात नहीं बदले।
Labour Day मजदूर दिवस परिचर्चा
सरकारें बदलती रही,मगर नहीं बदला मजदूरों का जीवन: डॉ रिजवी
जिस दिन मजदूर को मजदूरी नहीं मिलती, उनके घर में चूल्हा नहीं जलता है। दिन भर अथक मेहनत के बाद सैकड़ों मजदूरों का फुटपाथ ही आशियाना होता है। मजदूर आज भी मजबूर है। मजदूर दिवस सिर्फ कागजी रस्म बनकर रह गया है। सरकारों ने कोई खास ध्यान इनकी हालात पर नहीं दिया।

डॉ संजय कुमार सुमन ने कहा कि दुनिया के सभी देशों की सरकारें मजदूरों के हित की बात तो करती है, मगर उनके भलाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है। मजदूर तो मजबूर है। उनके लिए क्या मजदूर दिवस? राष्ट्र निर्माण में मजदूरों की बड़ी भूमिका होती है, बावजूद श्रम कल्याण सुविधाओं के लिए वे हमेशा मोहताज रहते हैं। मजदूर वर्ग को आज भी उद्धारक की तलाश है।
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इतिहास विभाग की अध्यक्षा डॉ कहकशां ने कहा कि मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य देश के निर्माण में श्रमिकों के योगदान को याद करना और सम्मानित करना है। इस दिन श्रमिकों के संघर्षों को याद किया जाता है और उनके काम की सराहना की जाती है। सरकारों के द्वारा मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
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प्राचार्य डॉ अनिता सिंह ने कहा कि भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1923 में सबसे पहले चेन्नई में हुई थी। इसके बाद देश के कई मजदूर संगठनों ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की। भारत में यह दिन हर साल 01 मई को मनाया जाता है। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा, सही मजदूरी और जागरूकता की पहल करना हम सबों का भी दायित्व है।
मौके पर डॉ अजमत अली, डॉ अनुपम कुमार, डॉ ललित किशोर, डॉ मनीष कुमार शर्मा, छात्रों की तरफ से मणि कुमार यादव एवं अंशु कुमारी ने अपने विचार रखे।