Muzaffarpur 5 April : उत्तर बिहार के लोगों के लिए Muzaffarpur Airport अब करीब आता दिख रहा है। 1984 से बंद पड़े पताही हवाई अड्डे को पुनर्जीवित करने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘उड़ान योजना’ के तहत एयरपोर्ट के विकास के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है। इससे इस क्षेत्र के लोगों के सपनों को उड़ान मिलने की उम्मीद फिर से जाग गई है। यह मंजूरी उत्तर बिहार के लोगों के लिए उस सपने जैसी है, जिसे उन्होंने वर्षों से संजो कर रखा था। इस निर्णय के साथ ही एक बार फिर Muzaffarpur Airport से आसमान में उड़ान भरने की उम्मीदें जाग उठी हैं।
Muzaffarpur Airport
इतिहास की उड़ान: पत्ताही एयरपोर्ट का सफर
Muzaffarpur Airport से पहली बार यात्री विमान सेवा 1967 में शुरू हुई थी, लेकिन 1984 में यह सेवा बंद हो गई। तब से ही स्थानीय लोगों की यह मांग रही है कि यहां से दोबारा हवाई सेवा शुरू हो। पिछले पांच दशकों से मुजफ्फरपुर और उत्तर बिहार के अन्य जिलों के लोग इसी उम्मीद में हैं कि एक दिन यह हवाई अड्डा फिर से जीवित होगा।

Muzaffarpur Airport छोटे विमानों से उम्मीदों की नई शुरुआत
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की परियोजना मूल्यांकन समिति ने पत्ताही एयरपोर्ट को छोटे, 20 सीटर विमानों की उड़ानों के लिए उपयुक्त माना है। स्वीकृत 25 करोड़ रुपये की राशि से हवाई पट्टी की मरम्मत, यात्री शेड, ऑफिस और हैंगर का निर्माण किया जाएगा। एयरपोर्ट कुल 101 एकड़ में फैला है, लेकिन इसका रनवे फिलहाल सिर्फ एक किलोमीटर लंबा है — जो बड़े विमानों के लिए अपर्याप्त है।
सरकार ने पहले 475 एकड़ अतिरिक्त भूमि की मांग की थी, लेकिन घनी आबादी और महंगे ज़मीन के कारण वह संभव नहीं हो सका। इसके बावजूद, अधिकारियों ने अब इसे घरेलू विमान सेवा के तहत छोटे विमानों के लिए उपयुक्त मान लिया है।
डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह Bihar University सिंडिकेट सदस्य पद https://t.co/Kbm10fjhz0 #Muzaffarpur @DineshCRai pic.twitter.com/cZbqMBn7jS
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) April 4, 2025
हकीकत बन पाएगा या चुनावी स्टंट?
हालांकि इस घोषणा के साथ लोगों में उत्साह है, लेकिन सवाल यह भी है कि यह परियोजना धरातल पर कब तक उतर पाएगी। कुछ हफ्ते पहले आसपास के गांवों में लोग धरने पर बैठे थे, क्योंकि वे अपनी जमीन या घर देने के लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस बाधा को कैसे सुलझाती है — या यह भी एक और चुनावी घोषणा बनकर रह जाएगा।
उत्तर बिहार के लोग अब सिर्फ वादों से नहीं, कार्यान्वयन की ठोस शुरुआत का इंतजार कर रहे हैं। सपनों की उड़ान तब ही पूरी होगी, जब पत्ताही की रनवे पर असल में कोई विमान उतरेगा।