धीरज ने 10 वर्षों से एक रूप्या भी नहीं निकला है बैंक से
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के एक सफाई कर्मी की अनोखी कहानी. अनोखी कहानी इसलिए कि वह है करोड़पति एक कहावत सही कहीं गई है कि कभी किसी को पहनावे लिबास से आंकना नहीं चाहिए. प्रयागराज के कुष्ठ रोग विभाग में काम करने वाले स्वीपर धीरज की कहानी है अनोखी. अनुकंपा में प्राप्त नौकरी जो धीरज को उनकी पिता की मौत के बाद मिली थी
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) May 24, 2022
2012 में. धीरज 2012 से कुष्ठ रोग विभाग में कार्यरत हैं उन्होंने बैंक से एक भी रुपया नहीं निकाला है. धीरज के अकाउंट में है कुल 70 लाख रुपए उनके साथ काम करने वाले कर्मचारी भी उन्हें करोड़पति स्वीपर कहते हैं. धीरज कभी भी अपने अकाउंट से पैसे नहीं निकालते हैं और नहीं उनके पिता पैसे निकालते थे. उसके साथ विभाग में काम करने वाले लोग बताते हैं कि लोगों से पैसे मांग कर अपना काम चला लेता है. उसकी मां को भी पिताजी का पेंशन मिलती है.

ईमानदारी से अपने काम भी करता है. शादी करने से इनकार करता है. इसलिए कि शादी करने के बाद खर्च बढ़ जाएंगे और पैसे भी खर्च हो जाएंगे. अपनी मां बहन के साथ उसी विभागीय परिसर में रहता है. कुछ दिनों पहले धीरज बैंक गए थे अपने बैंक अकाउंट बता कर उन्होंने बैंक वालों से जमा राशि बताने को कहा तो बैंक वाले भी उसे मानसिक रोगी और भिखारी समझने लगे. लेकिन जब अकाउंट नंबर को चेक किया गया तो उसमें ₹50 लाख जमा थे. सभी बैंक कर्मी भी सकते में आ गए. दो दिन पहले ही बैंक वाले धीरज को खोजते हुए पहुंचे और बताया कि 70 लाखों हो गए हैं. उसके अकाउंट में कुछ पैसों को निकालने के लिए भी मनाने लगे लेकिन धीरज ने पैसे निकालने से इनकार कर दिया.धीरज ने १० वर्षों से एक रूप्या भी नहीं निकला है बैंक से.

अनोखी कहानी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के धीरज की है जो स्वीपर और चौकीदार के पद पर सीएमओ ऑफिस के कुष्ठ रोग विभाग में कार्यरत हैं और नौकरी अनुकंपा पर मिली थी इन्हें कोई भी बुरी आदत नहीं है और कम पर पैसों में गुजरा कर लेते हैं.
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