AES एईएस से ठीक हुए बच्चों का होगा मेडिकल फॉलोअप: जिलाधिकारी

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Muzaffarpur 25 April : AES एईएस से ठीक हुए बच्चों का होगा मेडिकल फॉलोअप: जिलाधिकारी

  • चमकी के छोटे लक्षणों को न करें दरकिनार
  • मीडिया संस्थानों से जागरूकता फैलाने की अपील। मीडिया का सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा।\

AES एईएस से ठीक हुए बच्चों का होगा मेडिकल फॉलोअप


AES एईएस से ठीक हुए बच्चों का अब फॉलोअप होगा। यह जवाबदेही दो विभागों स्वास्थ्य और आईसीडीएस की होगी। स्वास्थ्य विभाग के एएनएम स्तर से व आईसीडीएस इसे महिला पर्यवेक्षिका के स्तर से पूरा करेंगी। इसके लिए जल्द ही एक फॉर्मेट भी बनाया जाएगा। ये बातें मंगलवार को जिला प्रशासन और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया वर्कशॉप में जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कही। मीडिया से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि एईएस में जागरूकता या राह दिखाने में मीडिया ने हमेशा से सहयोग किया है। ऐसे में इस बार एक नवाचार करते हुए मीडिया संस्थानों से भी आग्रह होगा कि वे अपने विज्ञापन के बाद बचे जगहों में चमकी को धमकी की बातें या कंट्रोल रूम का नंबर लिखें। वहीं सोशल मीडिया से भी अपने चैनलों के स्क्रॉल में चमकी के प्रति लोगों को जागरूक करने वाली बातें लिखें। जिलाधिकारी ने कहा कि रेड क्रॉस के माध्यम से जिले में बच्चों के अभिभावकों में गुड़ बटवांने की भी योजना है, जिससे रात को सोते समय बच्चे कुछ मीठा जरूर खाएं।

मीडिया वर्कशॉप में जिलाधिकारी
मीडिया वर्कशॉप में जिलाधिकारी

चमकी के छोटे लक्षण को भी न करें नजरअंदाज:

मीडिया उन्मुखीकरण सह कार्यशाला के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि चमकी के छोटे लक्षण को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बच्चों को जल्द ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाएं। यह दो महीने चमकी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। मीडिया के जागरूकता संबंधी सवाल का जवाब देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि पंचायतों को गोद लेने के अलावे आंगनबाड़ी सेविकाएं आंगनबाड़ी के बच्चों के अलावे अपने पोषक क्षेत्र के सभी 15 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे हैं। स्कूलों में चेतना सत्र का आयोजन किया जा रहा है। चौबीसों घंटे पीएचसी लेवल पर डॉक्टर और दवाएं उपलब्ध है। आईसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिका और स्वास्थ्य से एएनएम मासिक स्तर पर प्रभावित बच्चों का रिपोर्ट प्रतिवेदित करेंगे।

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मीडिया वर्कशॉप में जिलाधिकारी

वीडियो वॉल लाएगा जागरूकता में धार:

जिलाधिकारी ने कहा कि प्राय: देखा गया है कि चमकी का प्रकोप दलित एवं महादलित टोलों में अधिक होता है। ऐसे में उनके जागरूकता के लिए महादलित टोलों में वीडियो वॉल के माध्यम से वीडियो दिखाकर उन टोलों में चमकी के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। इस बार भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य स्पष्ट है कि कम से कम केस आए और जीरो डेथ की संकल्पना को पूरा किया जा सके।

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रिस्पांस टाइम है महत्वपूर्ण:

जिलाधिकारी ने कहा कि चमकी में रिस्पांस टाइम बहुत महत्वपूर्ण है। यह हाल में ही एईएस से कुछ ठीक हुए लोगों के आधार पर निष्कर्ष आया है। पिछले कुछ वर्षों में वही चमकी केस खराब हुआ है जिन्होंने दिखाने में देर की है।


मौके पर जिलाधिकारी प्रणव कुमार, डीडीसी आशुतोष द्विवेदी, सिविल सर्जन डॉ यूसी शर्मा, जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार, जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी दिनेश कुमार, डीपीएम रेहान अशरफ, केयर डीटीएल मुकेश कुमार सिंह, डीपीओ सोमनाथ ओझा, भीबीडीसी प्रीतिकेश प्रमार्थी, डब्ल्यूएचओ के डॉ आनंद एवं अन्य मीडियाकर्मी मौजूद थे।

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