Muzaffarpur 11 August : 11 अगस्त 1942 को आज ही के दिन बिहार के सात सपूत उमाकांत प्रसाद सिंह, रामानंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगपति कुमार, देवीपद चौधरी, राजेन्द्र सिंह और राम गोविंद सिंह अंग्रेजों द्वारा गोली मारे जाने से शहीद हो गए थे।
देश आपका बलिदान हमेशा याद रखेगा।
हीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..

“बहुत गरीब हूँ मैं , मेरे पास मेरी भारत माँ को देने के लिए कुछ भी नहीं है, सिवाय मेरे प्राण के, और आज मैं उसे दे रहा हूँ ।”
इतना कह कर एक हाथ में पवित्र गीता ले कर 19 साल का खुदीराम बोस फाँसी पर झूल गया।
माँ भारती की स्वाधीनता के लिए अल्पायु में अपने प्राणों की आहुति देने वाले युवा क्रांतिकारी, अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक खुदीराम बोस की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

Life of Young Revolutionary Khudiram Bose
Muzaffarpur Conspiracy Case में उनकी भूमिका के लिए, प्रफुल्ल चाकी के साथ, उन्हें मौत की सजा दी गई और बाद में उन्हें मार दिया गया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे कम उम्र के शहीदों में से एक बन गए। वह बंगाल के पहले भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
खुदीराम ने प्रफुल्ल चाकी के साथ, एक ब्रिटिश न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास उसकी बग्घी गाड़ी पर बम फेंक कर किया, जिस पर उन्हें संदेह था कि वह अंदर है पर मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड, एक अलग गाड़ी में बैठा था, और बम फेंकने के परिणामस्वरूप बग्घी में बैठे दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई. गिरफ्तारी से पहले प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मार ली। खुदीराम को गिरफ्तार कर लिया गया और दो महिलाओं की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया, अंत में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
फांसी के समय खुदीराम की उम्र 18 साल, 8 महीने और 11 दिन, 10 घंटे थी, जिससे वह भारत के दूसरे सबसे युवा क्रांतिकारी बन गए।
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले के केशपुर पुलिस थाने के अंतर्गत मोहोबनी नामक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता नेरजोल में एक तहसीलदार थे।
Muzaffarpur Crime News : मुजफ्फरपुर के गोविंदपुरी बीबीगंज में सेल्स मैन बन घुसे अपराधियों ने लूट ली 50 लाख की संपत्ति – GoltooNews https://t.co/bHBNzhSriC #Muzaffarpur
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) August 11, 2022
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