Muzaffarpur News 24 April : Rastrakavi Ramdhari Singh Dinkar राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि पर लंगट सिंह कॉलेज में श्रधांजलि सभा आयोजित की गयी. कॉलेज के दिनकर पार्क स्थित दिनकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको श्रधांजलि दी गयी. प्राचार्य प्रो ओमप्रकाश राय ने कहा दिनकर राष्ट्रकवि होने के साथ ही जनकवि भी थे. देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है. भारतीय साहित्य जगत में दिनकर ऐसे नाम हैं जिनकी कविताएं युवाओं के रक्त में उबाल ला देती थी। जिनकी कविताओं की एक – एक पंक्ति से सभी में जोश भर जाता था. प्रो राय ने कहा कि दिनकर ने अपनी चर्चित किताब ‘संस्कृति के चार अध्याय’ जिसकी प्रस्तावना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी है, तथा अमर कृति उर्वशी इसी कॉलेज में अध्यापन करते हुए लिखी थी. दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि थे और उनके द्वारा रचित कविताएं आज भी अमर है. श्रधांजलि देने वालो में पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, पूर्व मंत्री श्री सुरेश शर्मा, विधान पार्षद डॉ संजय पासवान, प्रो राजीव कुमार, डॉ नवीन कुमार, डॉ कुमार बलवंत, डॉ ललित किशीर, ऋषि कुमार, सत्येन्द्र कुमार सहित अन्य शामिल रहे.

Dinkar Birth
आधुनिक हिंदी कवियों में से एक, दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी के सिमरिया गांव में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था , जो अब बिहार राज्य के बेगूसराय जिले का हिस्सा है.
Student Life
छात्र के रूप में, दिनकर को दिन-प्रतिदिन के मुद्दों से जूझना पड़ा, कुछ उनके परिवार की आर्थिक परिस्थितियों से संबंधित थे। जब वे मोकामा हाई स्कूल के छात्र थे, तो शाम चार बजे स्कूल बंद होने तक उनके लिए रुकना संभव नहीं था क्योंकि उन्हें लंच ब्रेक के बाद घर वापस स्टीमर पकड़ने के लिए कक्षा छोड़नी पड़ती थी। वह छात्रावास में रहने का खर्च वहन नहीं कर सकता थे.

Awards पुरस्कार और सम्मान
सरकार ने उन्हें वर्ष 1959 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था.वे 1952 में राज्य सभा के मनोनीत सदस्य भी बने और उन्हें तीन बार राज्यसभा के लिए मनोनीत भी किया था.उन्हें 1959 में उनकी रचना संस्कृति के चार अध्याय के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. उन्हेंउर्वशी के लिए 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. दिनकर के प्रशंसकों का व्यापक रूप से मानना है कि वे वास्तव में राष्ट्रकवि (भारत के कवि) के सम्मान के हकदार थे.
Death
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक रश्मिरथी के तीसरे सर्ग पर तिरुपति मंदिर में अपना अंतिम कविता पाठ किया । अपनी मशहूर शायरी के बाद 24 अप्रैल 1974 की रात को दिनकर को कार्डियक अरेस्ट आया और उनका निधन हो गया।
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) April 24, 2023
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