Shiksha Sanskriti Uthan Nyas शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए, न कि सांप्रदायिक तुष्टिकरण: ए विनोद

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Muzaffarpur 4 December :Shiksha Sanskriti Utthan Nyas शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री ए विनोद ने अपने बिहार प्रवास पर आगमन के क्रम में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए छुट्टियों के कैलेंडर पर चिंता व्यक्त की है।

Shiksha Sanskriti Utthan Nyas

उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आम चुनाव से पहले शिक्षा के क्षेत्र में सांप्रदायिक तुष्टिकरण को लाने की बिहार सरकार की कोशिश खतरनाक है। सरकार का पहला कर्तव्य शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और मूल्य सुनिश्चित करना और सभी लोगों को उचित रूप से आवश्यक भौतिक सुविधाएँ प्रदान करना है।

बिहार जैसे गरिमामई शिक्षा परंपरा वाले क्षेत्र की वर्तमान निराशाजनक स्थिति का कारण जाति-धर्म तुष्टीकरण के माध्यम से सत्ता को स्थिर किया जा सके ऐसा सोच है।

Shiksha Sanskriti Utthan Nyas

2024 शैक्षणिक वर्ष कैलेंडर में कुछ मौजूदा धार्मिक त्योहार की छुट्टियों को कम करने और अन्य को बढ़ाने का निर्णय तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। इससे छात्रों में धार्मिक और जातिगत सोच के आधार पर नफरत ही पैदा हो सकती है.

यह सामाजिक न्याय और सद्भावना की उन अवधारणाओं को कमज़ोर करता है जिनका विकास छात्रों को स्कूल के माध्यम से करना चाहिए। विद्यालयों को सभी त्यौहारों को अपने-अपने महत्व के अनुरूप मनाने की पद्धति अपनानी चाहिए। आज बिहार में ऐसी कोई सामाजिक स्थिति नहीं है कि इसे बदला जा सके. यदि ऐसी राजनीतिक तुष्टिकरण की नीतियां एक राज्य द्वारा अपनाई जाती हैं, तो इसका प्रसार अन्य राज्यों में होगा और इससे अधिक अशांति पैदा होगी।

आज का बिहार प्राचीन काल में शिक्षा, कला, विज्ञान, कूटनीति, प्रशासन, धर्म आदि सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता का केंद्र था। नालन्दा, वैशाली, मिथिला और पाटलिपुत्र यहाँ के ऐतिहासिक महत्व के स्थान हैं। उस विरासत को पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए और नई शैक्षिक योजना में शामिल किया जाना चाहिए। सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान बनाने का प्रयास करना चाहिए जिससे बिहार के पारंपरिक व्यवसायों, कला और कृषि को बढ़ावा मिले।

स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के स्थिति रोकने का प्रयास करना और उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, हर जिले में एक प्रतिमान शिक्षा संस्थान खड़ा करने का प्रयास करेंगे। जिसमें विद्यार्थी का चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व का विकास में ज्यादा बल देंगे। इसी शिक्षण संस्थान के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की ओर अपने आसपास के गांव में स्वदेशी एवं स्वावलंबी भाव जगाने का प्रयास भी करेंगे। सामाजिक सम्राट एवं पर्यावरण का संरक्षण का काम में विद्यार्थियों के भूमिका बढ़ाने का गतिविधियों भी चलाएंगे।

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