Muzaffarpur 30 December : Muzaffarpur के वरिष्ठ कथाकार, चित्रकार, व्यंग्यकार व कार्टूनिस्ट श्री चन्द्रमोहन प्रधान के पच्चासीवें जन्मदिन पर समारोह का आयोजन किया गया. ‘चन्द्रमोहन प्रधान लगभग पाँच-छह दशकों से हिन्दी कहानी में शहर की पहचान व गौरव हैं’
Muzaffarpur के वरिष्ठ साहित्यकार और कलाकार चन्द्रमोहन प्रधान
‘चन्द्रमोहन प्रधान लगभग पाँच-छह दशकों से हिन्दी कहानी में शहर की पहचान व गौरव हैं’
हिन्दी कहानी में राष्ट्रीय स्तर पर शहर की पहचान दर्ज कराने वाले ‘एकलव्य’ जैसे चर्चित उपन्यास और ‘जिस गाँव नहीं जाना’, ‘रिश्ते’, ‘शहर पिघल रहा है’ व ‘नींद का शहर और जागता स्वप्न’ जैसे उल्लेखनीय कहानी-संग्रहों के यशस्वी-वरिष्ठ कथाकार, चित्रकार, व्यंग्यकार व कार्टूनिस्ट श्री चन्द्रमोहन प्रधान के पच्चासीवें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि व उद्घाटक वक्ता के तौर पर वरिष्ठ कवि गीतकार एवं दर्शनशास्त्री प्रो. रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने उक्त बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उन्हें पाँच-छह दशकों एवं उनके लेखन से परिचित हूँ और उन्होंने हिन्दी कहानी क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

कथाकार चन्द्रमोहन प्रधान के जन्मदिवस समारोह में आगत अतिथियों का स्वागत अभिधा प्रकाशन के निदेशक श्री अशोक गुप्त और साहित्यिक संचालन प्रो.रमेश ऋतंभर ने किया। पूर्व विधायक श्री केदार प्रसाद ने चन्द्रमोहन प्रधान जी को हिन्दी साहित्य जगत का देदीप्यमान नक्षत्र बताया, जिनसे हमारा शहर जगमगा रहा है।

कवि-गीतकार डॉ.संजय पंकज ने कहा कि चन्द्रमोहन प्रधान की कहानियाँ लोक सामान्य के साथ सहज संवाद करती हैं। ‘एकलव्य’ जैसा उपन्यास इनके लेखन की अनमोल निधि है। दलित विमर्शक प्रो.हरिनारायण ठाकुर ने कहा कि चन्द्रमोहन प्रधान का अध्ययन व अनुभव व्यापक है। उन्होंने लेखन में कई पीढ़ियों को देखा है और अपने समय की नब्ज पर उनकी गहरी पकड़ है।

कथालोचक डॉ.चितरंजन कुमार ने कहा कि प्रधान जी का कथा-साहित्य बहुआयामी है और इनके कथा-साहित्य में मानवीय संवेदनाओं का पक्ष प्रबल है। युवा कवि प्रभात कुमार मिश्र ने उनके चित्रकार पक्ष का उल्लेख करते हुए चित्रकला और चित्रकारों की दुनिया पर केन्द्रित ‘एक दिग्भ्रमित कथा’ शीर्ष उनके उपन्यास के अनूठेपन एवं महत्व की चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में विश्वविद्यालय मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार राय ने चन्द्रमोहन प्रधान की विशिष्टता का उल्लेख करते हुए कहा कि वे परंपरा से सम्बद्ध रहते हुए यथार्थ का संधान करते और आधुनिकता का विस्तार करते हैं। वास्तव में उनका साहित्य हमारी बौद्धिकता को झकझोरता है।
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) December 30, 2024
अंत में सभी आगत अतिथियों व बन्धु-बान्धवियों का धन्यवाद/आभार-ज्ञापन श्री चन्द्रमोहन प्रधान एवं डॉ.अनुराधा प्रधान ने समवेत रूप से किया। समारोह में उक्त वक्ताओं के अतिरिक्त डॉ.कविता वर्मा, डॉ.पद्मरेखा झा, डॉ.पूनम सिंह, डॉ.ललित किशोर, डॉ.रवि रंजन, पूजा साहु, ज्ञानेन्द्र मोहन प्रधान, श्रीमती आँचल, कुमारी बॉबी, किरण कुमारी, नीलाभ कुमार, जवाहर कुमार, विभांशु समेत अन्य कुटुम्ब-परिजन उपस्थित रहे।