Muzaffarpur 2 August : B.R.A. Bihar University के जन्तु विज्ञान विश्वविद्यालय विभाग में पीएच डी छात्रों के शोध कार्य प्रगति की अर्धवार्षिक समीक्षा की गई। विभागाध्यक्ष प्रो राकेश मोहन के कार्यभार सम्भालने के बाद यह पहली समीक्षा थी और इसमें बदले हुए निजाम के तेवर छात्रों के सामने स्पष्ट हो गए।
Bihar University अर्धवार्षिक शोध पुनरीक्षण
सभी शोध छात्रों को विभागीय शोध परिषद (डी आर सी) के समक्ष अपने शोध कार्य की प्रगति का ब्योरा प्रस्तुत करना था। पिछली बार की तरह खानापुरी करने की उम्मीद में पहुंचे छात्रों से जब विभागाध्यक्ष ने कड़ाई से प्रगति का ब्योरा लेना शुरू किया तो कई छात्रों ने स्वीकार किया कि लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद अभी तक उन्होंने शोध कार्य शुरू भी नहीं किया है और अब तक फर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करते आ रहे थे। छात्रों में हड़कंप का आलम यह रहा कि उपस्थिति पंजी पर हाजिरी बनाने वाले लगभग दो तिहाई शोध छात्र अपनी प्रस्तुति की बारी आने पर हाल से गायब हो गए.

शुरूआत में ही शोध छात्रों को आश्वस्त करते हुए डी आर सी के वरिष्ठ सदस्य डाॅ ब्रज किशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि इस पूरी कवायद का उद्देश्य शोध की गुणवत्ता में सुधार लाना है जिसके लिए हमारे कुलपति महोदय कृतसंकल्प हैं और वे मौखिक परीक्षा में स्वयं उपस्थित होकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सही ढंग से शोध करने वाले छात्रों को ही पीएच डी मिले। ऐसी स्थिति में यदि हम नियमित अंतराल पर आपके शोध कार्यों की मानिटरिंग नहीं करेंगे तो आप मौखिक परीक्षा में फंस जाएंगे। अवकाश प्राप्त प्रोफेसर फैय्याज अहमद, जिनके निर्देशन में अभी भी पीएच डी हो रही है, ने भी शोध छात्रों को सम्बोधित किया।

शोध की दयनीय दिशा का पता इस बात से चलता है कि तकरीबन डेढ दर्जन छात्रों में से मात्र चार-पांच की ही प्रस्तुति संतोषजनक रही। प्रो राकेश मोहन के कड़ाई से पूछने पर कई छात्रों ने स्वीकार किया कि रजिस्ट्रेशन के ढाई-तीन साल होने को हैं लेकिन उन्होंने अभी तक अपना शोध कार्य विधिवत शुरू भी नहीं किया है।
महान रसायनज्ञ, अपना सम्पूर्ण जीवन देश व जनसेवा को समर्पित करने वाले महान वैज्ञानिक और शिक्षक, डॉ. प्रफुल्ल चंद्र राय जी की जयंती पर सादर नमन। भारत के वैज्ञानिक नवजागरण में उनका योगदान सदैव प्रेरणादायक रहेगा।
— B. R. Ambedkar Bihar University, Muzaffarpur (@brabu_ac_in) August 2, 2025
– माननीय कुलपति, प्रो. दिनेश चन्द्र राय.@DineshCRai @GovernorBihar pic.twitter.com/ULy3CguNnF
सबसे चिंताजनक बात तो यह रही कि अवकाशप्राप्त प्रोफेसरों के निर्देशन में जितने शोध छात्र निबंधित हैं उनमें से किसी ने इस प्रेजेंटेशन में भाग नहीं लिया, जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वर्ष 2016 के रेगुलेशन के अनुसार सभी शोध छात्रों के लिए ऐसा करना अनिवार्य है। हालांकि इस रेगुलेशन के अनुसार अवकाशप्राप्त शिक्षकों को गाइड बनने पर रोक लगा दिया गया है लेकिन अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए कुछ वरिष्ठ प्रोफेसरों ने रिटायर्मेंट से कुछ समय पूर्व ही रजिस्ट्रेशन करवा कर कई शोध छात्र अपने निर्देशन में हड़प लिया है, एकाध ने तो यूजीसी द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से भी अधिक शोध छात्र अपने निर्देशन में रख लिया है जिससे इन छात्रों के पीएचडी डिग्री की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है।
शोध छात्रों द्वारा प्रगति रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए विभागाध्यक्ष प्रो राकेश मोहन ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अनुपस्थित शोध छात्रों को शीघ्र ही एक मौका और दिया जाए गा और यदि वे पुन: अनुपस्थित रहते हैं या उनके शोध कार्य का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहता है तो डी आर सी उनके रजिस्ट्रेशन को रद्द करने की अनुशंसा करेगी। इस मौके पर डी आर सी के अन्य सदस्य डाॅ विपुल वैभव एवं डाॅ निक्की कुमारी भी उपस्थित थे और उन्होंने भी प्रगति रिपोर्ट की जांच में अहम भूमिका निभाई।