RDS College में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना,आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

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Muzaffarpur 27 January : 76वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर RDS College, Muzaffarpur रामदयालु सिंह कॉलेज में “विरासत” थीम पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने शास्त्रीय और लोक नृत्य, संगीत, रैप, नाटक और भाषण के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

RDS College में गणतंत्र दिवस

इसके पहले महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो अनीता सिंह ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली. ध्वजारोहण के बाद अपने संबोधन में संविधान में दिए गए अधिकारों के विषय में जिक्र किया जिसमे शिक्षा का अधिकार,बराबरी का अधिकार,धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अदि शामिल हैं.

RDS College में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना
RDS College में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना

सांस्कृतिक कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अनीता सिंह ने की, जबकि सेवानिवृत्त प्रोफेसर अरुण कुमार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और प्रोफेसर के.के. झा ने विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

RDS College में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना
RDS College में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मना
RDS College

समारोह को संबोधित करते हुए विरासत के संयोजक डॉ. नीरज कुमार मिश्रा ने प्राचीन काल से भारत की सांस्कृतिक विरासत में लोक और शास्त्रीय परंपराओं के बीच सामंजस्य पर प्रकाश डाला। प्राचार्य डॉ. अनीता सिंह ने विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना की और नृत्य, अभिनय और संगीत में उनके प्रदर्शन को आध्यात्मिक और अनुशासित अभ्यासों से जोड़ा।

RDS College

मुख्य अतिथि प्रोफेसर अरुण कुमार ने इस आयोजन को असाधारण बताते हुए कहा, “मुझे यहां के छात्रों में इतनी उच्च स्तर की प्रतिभा की उम्मीद नहीं थी। ये छात्र निस्संदेह कॉलेज और देश का नाम रोशन करेंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रियंका दीक्षित और डॉ. पूनम कुमारी ने किया।

RDS College
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विभिन्न श्रेणियों में प्रतिभागी:

  • एकल नृत्य: अक्षिता, ऋतंभरा, पलक, खुशी
  • समूह नृत्य: खुशी और टीम, गुंजा और टीम
  • नाटक: निखिल, खुशी, अंशु, रचित, बंटी, सक्षम, पलक, गौरव
  • भाषण: पलक, आयशा, पलक, शिवानी, मुस्कान, खुशी
  • एकल गीत: केशव, हर्ष
  • रैप: नितिन

कार्यक्रम ने न केवल छात्रों की कलात्मक और सांस्कृतिक प्रतिभा को उजागर किया, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति गर्व और जुड़ाव की भावना भी पैदा की।

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