RDS College : क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है- डॉ. सनी

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Muzaffarpur 19 April : RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में “भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में दिल्ली से आए विज्ञान प्रचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सनी सिंह ने कहा कि शहीद भगत सिंह के विचार ही वे अस्त्र थे, जिनकी बदौलत भगत सिंह का संपूर्ण जीवन पूरी दुनिया के लिए अविस्मरणीय बन गया। वे कहते थे-बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती। क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होते हैं। भगत सिंह मानते थे कि सभी लोगों को समान अधिकार एवं अवसर प्राप्त होने चाहिए।

RDS College Seminar

RDS College
RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में “भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी

क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है- डॉ. सनी

 RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में "भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता" विषय पर आयोजित संगोष्ठी
RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में “भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी

देश के गरीबों और मजदूरों को उनके अधिकार के लिए लड़ना चाहिए। भगत सिंह का विचार सामाजिक न्याय और सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष का रास्ता दिखाते हैं। छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास को जानने वाला ही इतिहास बना सकता है। इसलिए इतिहास का गहन अध्ययन जरूरी है। विभिन्न विचारों को जानना, परखना एवं विश्लेषण करना छात्रों के लिए आवश्यक है। छात्रों को तर्कशक्ति एवं स्वतंत्र चिंतन के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन में पहल करनी चाहिए। निस्संदेह आज भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता बढ़ गई है।

 RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में "भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता" विषय पर आयोजित संगोष्ठी
RDS College के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में “भगत सिंह की विचार यात्रा और आज के दौर में उसकी प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी


कार्यक्रम की संरक्षक एवं प्राचार्य डॉ अनिता सिंह ने कहा कि भगत सिंह ऐसे महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजादी दिलाने के लिए हंसते हुए मौत को गले लगाया था। उनके विचार हमारे लिए आज भी बहुउपयोगी हैं।

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वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ संजय कुमार सुमन ने कहा कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में भगत सिंह पर मुकदमा चलाया गया था। 19 मार्च 1931 को फांसी दी गई। उस समय की नौकरशाही भगत सिंह की फांसी की सजा के समर्थक थे। 30 सितंबर 1930 को भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह ने ट्रिब्यूनल को अर्जी देकर बचाव पेश करने के लिए अवसर की मांग की थी। मगर फांसी की सजा बरकरार रही और अंततः फांसी दे दी गई।


अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा डॉ. नीलिमा झा ने भगत सिंह के प्रेरणादाई विचारों पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय भाषण करते हुए डॉ. कहकशां ने संगोष्ठी को विचार की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बताया। मुख्य वक्ता के प्रति आभार जताया और छात्रों को भगत सिंह के विचारों से प्रेरणा लेने की अपील की। बताया कि तर्क क्षमता और स्वतंत्र चिंतन छात्रों का बेहतरीन हथियार है।


विषय प्रवेश करते हुए डॉ एमएन रिजवी ने भगत सिंह के राजनीतिक एवं सामाजिक विचारों पर प्रकाश डाला। कहा कि समाज में परिवर्तन साहस, दृढ़ता, तर्क एवं स्वतंत्र चिंतन से हो सकता है।


कार्यक्रम के दूसरे सत्र प्रश्नोत्तर सत्र में छात्र अभिषेक, राज शिवम, अंशु कुमारी, नाजिया सुल्ताना, दीपक, दिनेश, अविनाश, राहुल और प्रो अजमत अली ने मुख्य वक्ता से सवाल पूछे।
कार्यक्रम में विषय प्रवेश डॉ एम एन रिजवी, मंच संचालन डॉ अजमत अली, स्वागत भाषण डॉ मनीष कुमार शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ ललित किशोर ने किया।
मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ कहकशां, डॉ नीलिमा झा, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ रिजवी, डॉ अनुपम, डॉ अजमत अली, डॉ ललित किशोर, डॉ मनीष कुमार शर्मा ने अपने विचार रखे।

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