New Delhi 12 December : गलवान घाटी झड़प के बाद पहली बार दो दिन पहले अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प,कई सैनिक घायल हुए हैं. गलवान घाटी झड़प के बाद पहली बार अरुणाचल प्रदेश के तवांग के पास में चीनी सेना के साथ झड़प एक पहाड़ पर कब्जा करने के फ़िराक में थी चीनी सेना.भारतीय सेना की गलवान घाटी झड़प के बाद पहली बार अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर को चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प हुई जिसमे बताया गया है की एक पहाड़ पर कब्जा करने प्रयास को विफल किया गया है. इस झड़प में दोनों सेनाओं के सैनिक घायल बताये जा रहे हैं. कोई भी भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं बताये गए है. इनकी संख्या लगभग 30-40 होगी जिसकी पुस्टि नहीं हुई है.
मीडिया में यह भी बताया गया है की 300 से अधिक चीनी सैनिक और लगभग 150 भारतीय सैनिक तवांग में झड़प में शामिल थे . लगभग 100 चीनी सैनिक घायल हुए (जिसकी पुस्टि नहीं हुई है), 12 चीनी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा पकड़ा गया जिन्हे बाद में रिहा कर दिया गया जबकि घायल भारतीय सैनिकों की संख्या 20 से कम है.
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) December 12, 2022
गलवान के बाद पहली भिड़ंत. अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांग्त्से में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के कई जवान घायल हो गए. चीनी सेना के कई सैनिक भी घायल हुए हैं. दोनों पक्ष अलग हो गए और स्थानीय कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग की.

लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल के पास की पहाड़ी पर कब्ज़ा करने को कोशिश की है पीपुल्स लेबेरशन आर्मी ने जिसे भारतीय जवानों ने विफल कर दिया.
इस तरह के प्रयास पहले भी हुए हैं पर 9 दिसंबर को हुई वारदात में अधिक संख्या में सैनिक घायल बताये जा रहे हैं.जून २०२० के बाद पहली बार इस तरह की कोशिश को विफल बनाया गया है. लद्दाख के गलवान घाटी में हुए पिछली झड़प में 20 भारतीय जवानों को खोया था. चीनी सेना के भी सैनिक अधिक संख्या में मारे गए थे.चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.
चीन सीमा की लम्बाई 20 हजार किलोमीटर है जिसमे 3488 किलोमीटर भारत के साथ लगती है. तिब्बत की सीमा पर मैकमोहन रेखा सीमा को विभाजित करती है पर चीन इसे सीमा रेखा नहीं मानता है. चीन दक्षिणी तिब्बत को अपना क्षेत्र बताते आ रहा है. चीन का आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया. 1962 के युद्ध के बाद अक्साई चीन वाले इलाके पर कब्ज़ा कर लिया था जो अब भी है.पिछले वर्षों में चीन सीमावर्ती इलाकों में अपना विस्तार करता आ रहा और अपनी बुरी नियत से भी बाज नहीं आ रहा है.
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