मैं उस भारतीय टीम का हिस्सा था जिसने 1961 में हॉलैंड (अब नीदरलैंड्स) को हराया था.मेरे पास उचित भोजन नहीं है, और न बिजली है और न ही सोने के लिए बिस्तर है. मैं दुख में जी रहा : पूर्व हॉकी खिलाड़ी’- टेकचंद
Former Hockey Player Tekchand : कभी राष्ट्रीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) का हिस्सा रहे टेकचंद यादव गरीबी के कारण झोंपड़ी में रहने को मजबूर हैं. उनको दो वक्त का खाना उनके भाई का परिवार देता है।
मैं उस भारतीय टीम का हिस्सा था जिसने 1961 में हॉलैंड (अब नीदरलैंड्स) को हराया था. मेरे पास उचित भोजन नहीं है, और न बिजली है और न ही सोने के लिए बिस्तर है.मैं दुख में जी रहा : पूर्व हॉकी खिलाड़ी’- टेकचंद

Madhya Pradesh Hockey Player : टेकचंद यादव के पास रहने को घर नहीं, सरकार से मदद की गुहार
ये भारतीय हॉकी के खिलाड़ी रहे टेकचंद हैं। साल 1961 में जिस भारतीय टीम ने हालैंड को हराकर हॉकी मैच में इतिहास रचा था, टेकचंद उस टीम के अहम खिलाड़ी थे। आज इनकी स्थिति बेहद दयनीय है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के शिष्य और मोहरसिंह जैसे खिलाडियों के गुरू आज एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को अभिशप्त हैं। जनप्रतिनिधि से लेकर सरकार तक जिन्हें इनकी कद्र करनी चाहिए, कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल भी है। शायद इसीलिए सरकार 600 रूपये प्रतिमाह पेंशन देकर इनके ऊपर अहसान कर रही है।
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) February 9, 2023
मध्यप्रदेश के सागर में रहने वाले टेकचंद के पत्नी व बच्चे नहीं हैं। भोजन के लिए अपने भाइयों के परिवार पर आश्रित इस हॉकी के खिलाड़ी को कभी-कभी भूखे भी सोना पड़ जाता है। ये उसी देश में रहते हैं, जहां एक बार विधायक- सांसद बन जाने के बाद कई पुश्तों के लिए खजाना और जीवन भर के लिए पेंशन-भत्ता खैरात में मिलता है।
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