Muzaffarpur 22 नवंबर : विश्व दर्शन दिवस के अवसर पर 22 नवंबर 2025 को आरडीएस कॉलेज में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनुराधा पाठक द्वारा संपादित पुस्तक ‘आधुनिक भारतीय दार्शनिक’-भाग-1 का भव्य विमोचन किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
RDS College में डॉ. अनुराधा पाठक की पुस्तक का गरिमामय विमोचन
विश्व दर्शन दिवस के अवसर पर दिनांक 22/11/2025 को RDS College में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ अनुराधा पाठक द्वारा संपादित पुस्तक ‘आधुनिक भारतीय दार्शनिक’-भाग-1 पुस्तक का विमोचन किया गया।

संपादक डॉ अनुराधा पाठक ने बताया कि आधुनिक भारतीय दार्शनिकों पर पूर्व में बहुत सी पुस्तक लिखी गई है।किंतु उन्नीसवीं-बीसवीं सदी के इन दार्शनिकों का चिंतन इतना गहरा,व्यापक और विस्तृत है कि उस पर पुनः-पुनः लिखे जाने की आवश्यकता है।आधुनिक भारतीय दार्शनिकों की निरंजन दार्शनिक चेतना के सौंदर्य पर पुनः पुनः कहे जाने की आवश्यकता है।इसी उद्देश्य से आधुनिक भारतीय दार्शनिकों पर पुस्तक संपादित करने का संकल्प लिया।

आधुनिक भारत में दार्शनिक चिंतन की जो धारा प्रवाहित होते हुए हम देखते हैं,वह एक और जहां अपनी परंपराओं से,शास्त्रीय धारा से जुड़े होने के अपने लगाव को प्रकट करती है,वहीं दूसरी ओर वह नवीन चिंतन भी प्रस्तुत करती है।आधुनिक भारतीय दार्शनिकों के चिंतन की यह धारा अपनी जड़ों से कटी हुई नहीं है।किंतु ऐसा भी नहीं है कि उसमें नूतनता,सृजनात्मकता नहीं है।न ही दार्शनिक चिंतन की धारा प्रवाहिता में कहीं कोई रुकावट लक्षित होती है।वैदिक ऋषियों के चिंतन में प्रथम बार जब दार्शनिक चिंतन परिलक्षित होता है,चिंतन की वह धारा बाद के काल में भी निरंतर गतिमान रही।सत्यज्ञान के प्रति वैदिक ऋषियों में जो आग्रह दिखता है,वह उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी तथा उसके बाद के दार्शनिकों में भी दृष्टव्य होता है।यद्यपि देश और काल के नित नए कलेवर के कारण हमें चिंतन में कहीं भिन्नता दिखती है,किंतु ऐसा कभी नहीं हुआ कि भारत की भूमि दार्शनिक चिंतन से कभी क्षण भर भी खंख हुई हो।सभ्यतागत संघर्षों की एक लंबी अवधि के मध्य भी दार्शनिक चिंतन से भारत के महान दार्शनिक कभी विमुख नहीं हुए।

विकट संघर्ष और राजनीतिक पराभव के दिनों में भी इस राष्ट्र की सांस्कृतिक-दार्शनिक चेतना की धारा कभी रूकी नहीं।अपितु उस काल में भी यह सांस्कृतिक-दार्शनिक चेतना निरंतर परिष्कृत-संवर्धित होती रही।यही कारण है कि संपादित पुस्तक की पहली कड़ी में मैंने आधुनिक भारतीय दार्शनिकों के विचारों को संकलित करने का संकल्प लिया।
प्रस्तुत पुस्तक में उन दार्शनिकों के चिंतन को सम्मिलित किया गया है,जिन्हें प्राय: देश के सभी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी दयानंद सरस्वती,रामकृष्ण परमहंस, कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य,रमण महर्षि, महात्मा गांधी,श्री अरविन्द, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, रवीन्द्र नाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, एम. एन. राॅय,जिद्दु कृष्णमूर्ति, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जैसे आधुनिक भारतीय दार्शनिकों पर विद्वान आचार्यों तथा अध्येताओं द्वारा अध्याय लिखे गए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में कुल बारह(12) विद्वानों ने अपना बौद्धिक सहयोग दिया है। प्रोफेसर एन.पी.तिवारी, सेवानिवृत्त आचार्य,पटना विश्वविद्यालय,,प्रोफेसर सरोज कुमार वर्मा, दर्शनशास्त्र,बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय,डॉ. सरोज पाठक,सहायक आचार्य,हिन्दी,डॉ विजय कुमार,एल एस काॅलेज , मुजफ्फरपुर , डॉ रमेश विश्वकर्मा,आर.एम.एल.एस. काॅलेज़ , डॉ सारिका,आर.डी.एस., मुजफ्फरपुर, डॉ रेशमा सुल्ताना, वैशाली महिला कॉलेज, डॉ प्रत्यक्षा राज, रमेश झा महिला कॉलेज,सहरसा, डॉ अमित दूबे , गुजरात विद्यापीठ, डॉ स्मिता पांडेय,पी.सी. विज्ञान काॅलेज,छपरा तथा अन्य विद्वानों के अध्याय सम्मिलित हैं।

Goltoo Singh Rajesh – डिजिटल पत्रकार
गोल्टू सिंह राजेश पिछले पाँच वर्षों से डिजिटल माध्यम में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत अपनी स्वयं की वेबसाइट पर समाचार प्रकाशित कर की। वर्तमान में वे डिजिटल पत्रकारिता के माध्यम से विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और खेल-कूद से जुड़ी खबरों पर विशेष ध्यान देते हैं। मुज़फ़्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों से संबंधित स्थानीय समाचारों को वे नियमित रूप से अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करते रहते हैं, तथा देश-विदेश की ब्रेकिंग और प्रमुख समाचारों को भी प्रकाशित करते हैं।