मुजफ्फरपुर नगर का मेयर चुन रहे या अपनी जात का नेता ? कैसे करेंगे विकास ? बनाना है Smart City चुनना है Caste का !
नगर निकाय चुनाव के लिए बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है. दो चरणों में अक्टूबर महीने में चुनाव होना तय हुआ है. पार्षद, डिप्टी मेयर और मेयर के चुनाव इस बार आम जनता करने जा रही है. मेयर के चुनाव में इस बार घमासान होने जा रहा है. इसलिए कि पहली बार आम जनता आपने वोट से मेयर का चुनाव करेंगे. अब जब आम जनता के हाथ में मेयर चुनने की बारी आई है तो प्रत्याशियों की भी बाढ़ आ गई है. भले मानसून बिहार को सूखा की तरफ ले जा रहा हो.
मुज़फ़्फ़रपुर में मेयर का चुनाव भी विधायक चुनाव होकर रह जायगा.
दुनिया में और भारत/बिहार में मेयर/महापौर पद
कई देशों में, अब भारत में भी, एक नगर या कस्बे जैसी नगरपालिका सरकार में एक महापौर (Mayor) सर्वोच्च पद का अधिकारी होता है। दुनिया भर में, स्थानीय कानूनों और रीति-रिवाजों में एक महापौर की शक्तियों और जिम्मेदारियों में अंतर है। बिहार में इसके उलट आपके सामाजिक कार्यों से कोई सरोकार नहीं बल्किआपकी राजनितिक पहुँच,जाती,दबंगता तथा आकाओं के योगदान से इस पद को प्राप्त कर सकते हैं.
बनाना है Smart City चुनना है Caste का !
बिहार में राजनीति एक व्यवसाय हो गया है. इस क्षेत्र में कमाई या नौकरी को उम्मीद बिना किसी डिग्री के संभव होता है. राजनीति में लोग काम करने नहीं आते हैं बल्कि अपनी रोजी-रोटी चलाने आते हैं ऐसा करने के कई कारण गिनाए जा सकते हैं. जैसे ही राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी की चुनाव की, उसके बाद से अब हर जाति के उम्मीदवार दिखने लगे. एक जाती के भी कई उम्मीदवार अवतरित हो गए हैं.पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद कुछ दबंगो को शिकन आई है. पर इसके बाद जाती का खेल शुरू हो गया है. पार्षद से लेकर मेयर तक में जातिवाद हावी है. मेयर चुनाव पार्टी के नाम पर तो होता नहीं है हाँ इन्हीं में से किसी एक को एक पार्टी समर्थन दे देती है.

मुजफ्फरपुर में कमोबेश यही स्थिति है अब हर दिन है एक नए जाति के उम्मीदवार दिखने लगे हैं. इसका मतलब तो इस चुनाव में कुछ रह नहीं गया है बस आपकी जाति जितनी ज्यादा संख्या में होगी और आप की जाति के लोग जितनी संख्या में वोट देने आएंगे, आपका चुनाव जीतने की संभावना बढ़ जाएगी. आप किस जाति के हैं और आप की जनसंख्या कितनी है इस पर आपकी जीत होगी. आप मेयर बनकर शहर की हालत को सुधारेंगे या वैसा ही रह जाएगा जो पिछले कई सालों से देखते आ रहा है मुजफ्फरपुर. किसी जाति का मेयर हो मुजफ्फरपुर में कोई बदलाव पिछले कई वर्षों से नहीं आया है. हां अलबत्ता एक कड़क प्रशासक के आने से थोड़ी बहुत कार्यों की झलक दिखती है जो उनके जाने के बाद से बंद हो गई है.
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) September 13, 2022
नामांकन की प्रक्रिया की शुरुआत भी हो गई है 10 सितंबर से 16 सितंबर तक पहले चरण का नामांकन शुरू हो गया है. प्रत्याशी भी अब बरसाती मेंढक की तरह दिखने लगे हैं. जिनका कभी कोई समाज सेवा से सरोकार नहीं रहा है वह भी मैदान में समाज सेवी लगाकर मैदान में कूद पड़े हैं. हर जाति के हिंदू मुस्लिम इसमें भी अलग-अलग जातियों के लोगों में कूद पड़े हैं. हर दिन एक नए होटल के सभागार में एक बड़ी सभा का आयोजन होता है और एक नए प्रत्याशी की घोषणा हो रही है.
सोशल मीडिया फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप का उपयोग हो रहा है प्रचार के लिए.अपनी दावेदारी ठोकी जा रही है सोशल मीडिया पर. भले वह समाज के लिए कुछ किए हो ना हो पर सोशल मीडिया में बहुत सारे कार्य करते नजर आएंगे आपको. मुजफ्फरपुर की आम जनता के लिए इस बार निगम चुनाव के बाद कोई बड़ा बदलाव आपके शहर में नहीं होगा. मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी का सपना आप देखते रह जाएंगे अगर चुनावों की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं आता है तो. चुनाव के समय जातियों के नाम पर वोट और काम के समय स्मार्ट सिटी नहीं बन पा रहा है यह अब पूछने की जरूरत आपको नहीं पड़ेगी. क्योंकि आप अपनी जाति के नेता चुन रहे हैं न कि मुजफ्फरपुर के लिए कुछ काम करने वाले की. इस प्रक्रिया में जब तक सुधार नहीं होगा तब तक कुछ नहीं हो सकता है.
Muzaffarpur Nagar Nigam Chunav : नामांकन पत्र दाखिल करने की शर्तें और कौन चुनाव नहीं लड़ सकता – GoltooNews https://t.co/sEstkpCsW2 #muzaffarpur #BiharNews #elections
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) September 14, 2022
बिहार में राजनीति इस कदर हावी है इस बात से पता चलता है कि बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री विपक्ष को मजबूत करने में लगे हैं बिहार की मजबूती और विकास के लिए क्या कर रहे हैं यह बताना उचित नहीं समझते हैं. नई सरकार बनने के बाद अगले दिन ही सबसे पहला बयान आया था विपक्ष को मजबूत करेंगे बिहार के बारे में कोई बयान नहीं आया था. क्या करेंगे हम इस तरह से सरकारें बदलती रही तो बिहार का क्या होगा?
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) September 13, 2022
अब कमर कस लीजिये आपके शहर की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है. जो वार्ड पार्षद की वर्षों से सीट पर कब्जा जमाए रखा है उसमें कोई बदलाव नहीं आने जा रहा है क्योंकि आम जनता इस चुनाव में उदासीन रहती है. ज्यादातर लोगों को पार्षद के कार्यों में मतलब नहीं रहता है और वोटिंग भी अच्छी नहीं होती है. लोग वोट गिराने नहीं जाते हैं यदि उनके पसंदीदा उम्मीदवार नहीं होते हैं, आस-पड़ोस के नहीं होते हैं तो वोट करना भी उचित नहीं समझते हैं, लेकिन बाद में शिकायत तो जरूर करेंगे कि हमारे घर के सामने से कूड़ा नहीं उठता है सड़कों पर सफाई नहीं है नाली की सुविधा नहीं है. वोट देने नहीं निकलते हैं और पसंदीदा पार्षद चयन नहीं करते हैं.
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