S.K.J. Law College Muzaffarpur शिक्षणकार्य में सुलभता पूर्वक छात्रो के ज्ञानवर्धन हेतु कार्यशाला

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Muzaffarpur 31 August : आज दिनांक 31 अगस्त 24 को S.K.J. Law College Muzaffarpur में सुबह 9 बजे दिन में महाविद्यालय के शिक्षक सभागार में शिक्षकों को शिक्षणकार्य में सुलभता पूर्वक छात्रो के ज्ञानवर्धन हेतु एक कार्यशाला का आयोजन हुआ।इस कार्यशाला में मुख्यअतिथि, काशीहिन्दू विश्वविद्यालय,बनारस में विधिव्याख्यता प्रो० (डा.) नवलकिशोर मिश्रा एवं विशिष्ट -अतिथि काशी हिन्दू विश्वविधालय के विधि व्याख्यता प्रो० (डा०) केशरीनन्दन शर्मा थे। इस कार्यशाला की अध्यक्षता महाविद्यालय के निदेशक श्री जयंत कुमार द्वारा किया गया।

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अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य डा.के.के.एन.तिवारी ने किया. अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री जयंत कुमार ने शिक्षको को संबोधित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षको को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं देना चाहिए बल्कि विधि के व्यवहारिक तथा उदाहरण-युक्त ज्ञान पर बल देना चाहिए।प्राचार्य ने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथियो का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षको द्वारा विशेषकर रिसर्च- ओरियन्टेशन एवं प्रोजेक्ट-कार्य को छात्रो के द्वारा कराने पर विशेष बल देने कीआवश्यकता है।

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मुख्य अतिथि प्रो.डा. नवलकिशोर मिश्राने अपने संबोधन में विधि की ऐतिहासिक विकास,जो प्राचीन काल से आरम्भ होकर वर्तमान समय में विधिक-प्रणाली के साथ- साथ नये कानूनों के विभिन पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला | उसके साथ ही उन्होने यह भी बताया कि वर्तमान शिक्षा-प्रणाली में शिक्षक केवल किताबी ज्ञान न देकर बल्कि व्यवहारिक तथा प्रायोगिक ज्ञान दे, जिससे विधि के छात्र- छात्राओ का चतुर्मुखी विकास हो सके जिससे न्याय हर व्यक्ति के समीप पहुच सके क्योकि विधिक कर्मयोगी पर ही समाज के नवनिर्माण का भार होता हैं |

S.K.J. Law College Muzaffarpur शिक्षणकार्य में सुलभता पूर्वक छात्रो के ज्ञानवर्धन हेतु कार्यशाला
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विशिष्टअतिथि बी.एच.यू. (वाराणसी) से पधारे प्रो. (डा.) केशरीनन्दन शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘मानवाधिकार वही है जो भारतीय संविधान के भागा-3 में विहित मूल अधिकार में वर्णित किया गया है,साथ ही शिक्षको से कहा कि शिक्षण कार्य में छात्रों को समझा ने में विशेष रूप से व्यवहार-मुलक तथा उदाहरण-युक्त तथ्यों को समाहित करना चाहिए एवं शिक्षक को चुम्वकत्वगुण संपन्न होना चाहिए, जिससे छात्र-छात्राओं को पढ़ने में ध्यान आकृष्ट हो सके, और वे समझको विकसित कर सके ताकि छात्र शिक्षको के ज्ञान से विधि विरुद्ध कृत्य करने वाले लोगो को दण्डित करा सके विधिक पेशेवर के योगदान के बिना भयमुक्त समाज की कल्पना नहीं किया जा सकता है |


इस कार्यशाला में महाविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे जिसमें मुख्यतः उप-प्राचार्य प्रो.बी.एम.आजाद, डा.एस.पी.चौधरी, डा.रविरंजनराय, प्रो.आशुतोष कुमार, प्रो.आशीष कुमार,सिंह, प्रो.पंकज कुमार, प्रो.शक्ति कुमार, डा सत्यव्रत, प्रो.वृजेश कुशवाहा, प्रो.आर.ए.सहाय, प्रो. बी. एम. दीक्षित, प्रो.डी. के. मिश्रा, प्रो.मधु कुमारी, प्रो. प्रेरणा कश्यप, प्रो.नितेश कुभार,प्रो.धनंजय पाण्डेय, प्रो.अर्चना अनुपम, प्रो.विपिन कुमार, प्रो. हैदर फारुकी, प्रो. अभिषेक आनन्द, प्रो रुपाझा, उज्जवल कुमार, विवेक कुमार सहित सभी कर्मचारीगण उपस्थित रहे।


इस कर्यशाला का मंच संचालन प्रो.रत्नेश भारद्वाज तथा धन्यवाद ज्ञापन उप-प्राचार्य प्रो.बी.एम.आजाद द्वारा किया गया।

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