Muzaffarpur 27 May : मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर शहर में चल रहे बेतरतीब निर्माण की कलई अब खुल गई है. आईआईटी इंजीनियर के द्वारा निरीक्षण करने के बाद निष्कर्ष निकला की एक भी नाले का डिजाइन सही नहीं है.
हमने भी अपने न्यूज़ ब्लॉग के माध्यम से पहले बताने की कोशिश की है कि नालों का बेतरतीब निर्माण हो रहा है जिससे हो सकता है सिकंदरपुर गंडक नदी की तरफ जल प्रवाह ना होकर सिकंदरपुर से उल्टे से शहर की तरफ जल का प्रवाह हो सकता है.
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मुजफ्फरपुर के विभिन्न इलाकों में आज दूसरे दिन भी निरक्षण किया जा रहा है.

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नालों को टुकड़ों में बनाया जा रहा है और उनकी गुणवत्ता तथा उनके ऊंचाई और लेवल की कोई का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. छड़ डाल कर ढलाई कर दी जा रही है और फिर उसे ढक लिया जा रहा है तो अंदर की स्थिति का पता लगाना बहुत मुश्किल है.

आईआईटी आईआईटी की टीम ने भी जांच में यही निष्कर्ष निकाला है बैंक रोड इमलीचट्टी कंपनी बाग मोती झील और बैरिया चौक का निरीक्षण करने के बाद आईआईटी की टीम ने नाली निर्माण में हो रही गड़बड़ी को पकड़ा 3 दिनों के लिए आईआईटी की टीम मुजफ्फरपुर में है.

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गौरतलब है कि शहर में नालो और आईआईटी पटना की टीम ने ही शहर में एस्टीमेट की मंजूरी दी थी. कुछ दिन पहले मेयर ने भी निरीक्षण कर पकड़ी थी गड़बड़ियां. आईआईटी पटना की टीम ने निर्माण कर रही एजेंसी से हो रही गड़बड़ियों पर रिपोर्ट मांगी है. ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की बात कही है अगर जल्द नहीं ठीक कराई गई.
980 करोड़ के स्मार्ट सिटी के 16 प्रोजेक्ट में 198 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है।


विगत दो महीने से मुजफ्फरपुर शहर में निर्माण के नाम पर गड्ढों में तब्दील कर दिया गया है शहर को.ढलाई कर दिया गया हो गया नाला निर्माण.पानी किधर से किधर जायगा इसकी पता भीनही चलेगा.
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विगत दस वर्षों या ज्यादा में शहर में तीन तीन फ़ीट ऊँचे नाले बने हैं जिनसे होकर पानी का प्रवाह नहीं होता है.शहर के हर कोने में ये उदहारण देखने को मिलेंगे.

इससे पहले आरसीसी ढलाई से सड़क ऊँचा कर मकानों और दुकानों को बिना कारण निचा कर दिया गया.आरसीसी ढलाई से सड़क बनने से सड़क काट कर ही दूसरा काम करना पड़ता है.जिसका नतीजा है की आज गैस पाइप लाइन,नल जल,बिजली आदि कामो के लिए सड़क काटना पड़ता है.

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