R.D.S. College गौरवपूर्ण अतीत से स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ता राम दयालु सिंह कॉलेज।

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Muzaffarpur 17 July : 19 जुलाई 2023 को R.D.S. College 75 वर्ष का हो जाएगा, जिसे कॉलेज परिवार उस दिन को 75 वां स्थापना दिवस समारोहहीरक जयंती’ के रूप में मनाने जा रहा है।

R.D.S. College
R.D.S. College गौरवपूर्ण अतीत से स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ता राम दयालु सिंह कॉलेज।

रामदयालु सिंह कॉलेज की स्थापना


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू श्री कृष्ण सिंह के साथ कई मनीषियों ने कॉलेज स्थित पोखरे के पास एकत्र होकर रामदयालु सिंह कॉलेज की स्थापना का संकल्प लिया था।
R.D.S. College का उद्घाटन 19 जुलाई 1948 को हुआ। उस दिन से वर्ग संचालन एवं विधिवत अध्ययन- अध्यापन का शुभारंभ हुआ। 1948 की मई महीने में कॉलेज के पोखरे के पश्चिमी भिंड पर शहर के तमाम बुद्धिजीवी, देशभक्त, समाज-सेवी, संस्कृति कर्मी, राजनेता, सभी एकत्र हुए थे।

स्वर्गीय रामदयालु बाबू के नाम पर R.D.S. College की संस्थापना का संकल्प

पटना विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर. सी.पी.एन. सिन्हा, बिहार के मुख्यमंत्री स्वयं बाबू श्री कृष्ण सिंह और उनके मंत्रिमंडल के नौ सदस्यों में से 8 सदस्य वहां उपस्थित थे। उस सभा में स्वर्गीय रामदयालु बाबू के नाम पर महाविद्यालय की संस्थापना का संकल्प लिया गया। उस सभा में मनियारी महंत दर्शन दास जी, शब्द-शिल्पी रामवृक्ष बेनीपुरी, केंद्रीय मंत्री मंडल के सदस्य श्री ललितेश्वर प्रसाद शाही, श्री त्रिवेणी प्रसाद सिंह, और इस सारी योजना के प्रेरक व्यक्तित्व श्री महेश प्रसाद सिंह जी भी मौजूद थे।

R.D.S. College
Beautiful Green Views of R.D.S. College, Muzaffarpur

महाविद्यालय की प्रतिष्ठा


1952 में आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री कॉलेज प्राध्यापक के रूप नियुक्त हुए। उनकी विद्वता एवं उच्च स्तरीय कविताओं के कारण महाविद्यालय की प्रतिष्ठा में अपार वृद्धि हुई। कॉलेज में नाटकों के मंचन की परंपरा शुरू हुई। 1950 में डॉ. रामकुमार वर्मा रचित ‘पृथ्वीराज की आंखें’ एकांकी का सफल मंचन हुआ। इसके साथ ही एक वर्ष के अंतराल पर आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री के निर्देशन में जयशंकर प्रसाद लिखित ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक का मंचन कॉलेज परिसर में किया गया। इस प्रकार नाट्य मंचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कॉलेज ने वर्तमान में उत्तर बिहार में अपना प्रमुख स्थान बनाया है। वहीं शैक्षणिक जगत में कॉलेज ने अपना ग्लोबल पहचान बनाया है।

महाविद्यालय में विकास


वर्तमान प्राचार्य डॉ. अमिता शर्मा ने बताया कि महाविद्यालय में विकास के कई काम हुए हैं। सभी वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई, वाणिज्य की पढ़ाई, छात्रों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग, कल्चरल प्रोग्राम, एनएसएस और एनसीसी के माध्यम से छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है। यहां के छात्र छात्राओं ने विगत वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल की है। यहां के कुशल एवं मेधावी शिक्षकों के अध्यापन से यह कालेज शिक्षा जगत का रोल माडल बन चुका है।

‘वर्तिका’ पत्रिका’ का हीरक जयंती


छात्रों एवं शिक्षकों के लेखन प्रतिभा को निखारने के लिए हर वर्ष कॉलेज अपनी पत्रिका ‘वर्तिका’ प्रकाशन करता है। प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘वर्तिका’ पत्रिका’ का हीरक जयंती विशेषांक के संपादन का कार्य प्रधान संपादक डॉ रजनीश कुमार गुप्ता की देखरेख में हो रहा है। इसका विमोचन 19 जुलाई को 75वें स्थापना दिवस के अवसर पर होना है।

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