RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित व्याख्यान माला

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Muzaffarpur 28 November : RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि रामदयालु बाबू अपने समय में शिक्षा के प्रमुख सूत्रधार के रूप में उभरे। उनका मानना था कि जब तक देश में शिक्षा का समुचित प्रसार नहीं होगा तब तक देश स्वाधीन नहीं होगा।

RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस

RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस
RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस

वर्ष 1923 में मुजफ्फरपुर नगरपालिका का उपाध्यक्ष, फिर जिला परिषद का अध्यक्ष होने के बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर जिले के गांव गांव में मिडिल स्कूल खोले। एक नमक सत्याग्रही के रूप में रामदयालु बाबू एक बड़े जत्थे के साथ नमक कानून भंग करने के लिए शिवहर की ओर प्रस्थान किये थे, जहां उनकी गिरफ्तारी हुई। खबर फैलते ही उन्हें गिरफ्तारी से मुक्त कराने के लिए हजारों की भीड़ जुट गई। रामदयाल बाबू ने उस जनसमूह को शांत रहने की अपील की और अहिंसा के मार्ग पर चलने का आहवान किया।

रामदयालु बाबू सच्चे गांधीवादी और ईमानदारी के मिसाल थे: प्रो अरुण कुमार सिंह

RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस Dr Arun Kumar Singh
RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस Dr Arun Kumar Singh
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महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी आकर्षक वकालत को ठुकरा कर वे असहयोग आंदोलन में कूद पड़े थे। रामदयालु बाबू किसान आंदोलन से भी जुड़े थे। किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती रामदयालु बाबू को ही बिहार किसान सभा का जन्मदाता मानते थे, क्योंकि उन्हीं की प्रेरणा से स्वामी जी ने संगठित किसान आंदोलन की नींव रखी थी।

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इतिहास विभाग के डॉ अजमत अली ने रामदयालु बाबू के जीवन पर शोध परक प्रस्तुति की। उन्होंने बताया कि रामदयालु बाबू कई दृष्टिकोण से राष्ट्रीय स्तर के महान व्यक्तित्व थे। उन्होंने रामदयालु बाबू के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सहभागिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके साथ ही रामदयाल बाबू के सामाजिक, शैक्षिक और संगठनात्मक अभिरुचि पर भी प्रकाश डाला।

RDS College में रामदयालु स्मृति दिवस
RDS College Family में रामदयालु स्मृति दिवस
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कॉलेज शिक्षक सचिव डॉ एम एन रजवी ने रामदयाल बाबू को त्याग की प्रतिमूर्ति बताया।कहा कि एक कर्तव्यपरायण और ईमानदार व्यक्तित्व के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
भागलपुर से आए प्रो विजय कुमार ने रामदयालु बाबू और गांधीजी के संबंध और आंदोलन को लेकर उनकी सहभागिता पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।

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अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अनिता सिंह ने बताया कि रामदयाल बाबू के आशीर्वाद से कॉलेज लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने महाविद्यालय के उत्तरोत्तर विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की। कॉलेज परिवार रामदयाल बाबू को हमेशा स्मरण करते रहेंगे, उनसे प्रेरणा लेते रहेंगे। इस कॉलेज के छात्र, शिक्षक एवं कर्मचारियों को गर्व का अनुभव करना चाहिए।

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अन्य वक्ताओं में बूस्टा महासचिव डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता,प्रो बीके आजाद, प्रो एसके पॉल, प्रो मंजू कुमारी, डॉ संजय कुमार सुमन, प्रो विजय कुमार, प्राचार्य डॉ अमिता शर्मा, पूर्व प्राचार्य डॉ हरिनारायण ठाकुर, प्रो अनीताघोष, डॉ अपर्णा कुमारी, डॉ निरजा अस्थाना, डॉ रंजना कुमारी, डॉ सुनीति मिश्रा, डॉ मंजू सिंहा, डॉ रजनीश कुमार गुप्ता, डॉ राजीव कुमार श्री पंकज भूषण आदि ने रामदयालु बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

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इस अवसर पर रामदयालु बाबू स्मृतिका का लोकार्पण किया गया

इस अवसर पर रामदयालु बाबू स्मृतिका का लोकार्पण किया गया। इसे तैयार करने में डॉ सुभाष चंद्र, डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ सौरभ राज, डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह, डॉ रजवी एवं डॉ अजमत अली की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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स्वागत गीत आलिया, आयशा, हर्ष, केसव और नितिन ने खूबसूरती से प्रस्तुत किया तथा तबला पर प्रणव और हारमोनियम पर सास्वत ने सहयोग दिया

“कभी अलविदा न कहना” गीत हर्ष ने बहुत ही कुशलता से गाया, जबकि केशव ने गिटार पर बेहतरीन सहयोग दिया। इस गीत में प्राचार्या डॉ अनीता सिंह, डॉ नीलिमा डॉ रजनीकांत,डॉ प्रमोद,डॉ सारिका,डॉ आशीष कांता ,डॉ तूलिका और डॉ प्रियंका ने साथ निभाया

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इस अवसर पर रामदयालु स्मृति वाटिका में प्राचार्य के नेतृत्व में शिक्षकों ने दो दर्जन से अधिक आयुर्वेदिक पौधे लगाए।
इतिहास विभाग और राजनीति विज्ञान विभाग के सौजन्य से रामदयालु बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के ऊपर शोध कार्य भी किए जाएंगे।

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धन्यवाद ज्ञापन डॉ सौरभ राज ने प्रस्तुत किया।
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मंच संचालन डॉ अनुराधा पाठक,


कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ अनुराधा पाठक, स्वागत भाषण डॉ आर एन ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सौरभ राज ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कॉलेज के सभी शिक्षक, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, पूर्ववर्ती छात्र, साहित्यकार एवं समाजसेवी उपस्थित थे।

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