Muzaffarpur 10 March : LS College लंगट सिंह कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग और प्रो सोहन राज लक्ष्मी देवी तातेड जैन चेयर के संयुक्त तत्वावधान में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया. लंगट सिंह कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग और प्रो सोहन राज लक्ष्मी देवी तातेड जैन चेयर के संयुक्त तत्वावधान में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया.
LS College में विशेष व्याख्यान
भारतीय ज्ञान-परम्परा में पर्यावरण चिंतन (जैन धर्म-दर्शन के विशेष सन्दर्भ में) विषय पर आयोजित व्याख्यान की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो ओमप्रकाश राय ने की तथा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रो किस्मत कुमार सिंह मुख्य वक्ता रहे. कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन प्राचार्य प्रो ओमप्रकाश राय ने वरीय सहयोगियों तथा अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर किया. अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य प्रो राय ने कहा कि भारतीय ज्ञान-परम्परा में पर्यावरण संरक्षण का एक समृद्ध और गहन इतिहास रहा है. इसमें केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी शामिल नहीं है, बल्कि जीवन में सभी के प्रति सम्मान और करुणा की भावना को भी शामिल किया गया है.

आज पर्यावरण का बिगड़ता संतुलन और बढ़ते प्रदूषण से पूरी दुनिया जूझ रही है. इन गंभीर समस्याओं से उबरने का एक मात्र उपाय दुनियाभर के पर्यावरण को हरा भरा बनाना है. प्रो राय ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाली आदतें अपनाकर, प्रदूषण कम करके और बिजली व पानी की खपत को कम करके सभी लोग अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण सरंक्षण में योगदान दे सकते हैं. मानव और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध को समझाना जरूरी है, तभी लोग इसके प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे. पर्यावरण के घटक परस्पर एक-दूसरे के साथ जुड़कर एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं.

मुख्य वक्ता प्रो किस्मत कुमार सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा और विशेष रूप से जैन धर्म-दर्शन के मूल दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में निहित पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए बताया कि आज के समय में इन सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है.
विशिष्ट अतिथि एलएनटी कॉलेज के प्राचार्य प्रो अभय कुमार सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी से अनुशासित प्रयास करने की अपील करते हुए कहा कि जब हम अनुशासित होते हैं, तो हम अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे परिवर्तन लाने के लिए तैयार होते हैं, जैसे कि ऊर्जा की बचत करना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना और अपशिष्ट का प्रबंधन करना, जिनके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं.
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) March 10, 2025
व्याख्यान का समन्वय दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की डॉ दीपिका कुमारी ने किया.
मौके पर प्रो जयकांत सिंह, डॉ रमेश विश्वकर्मा, डॉ अर्चना सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉ त्रिपदा भारती, डॉ शशिकांत पाण्डेय, डॉ नवीन कुमार, सुजीत कुमार, ऋषि कुमार, लालबाबू सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।