Munawwar Rana मुनव्वर राणा (1952- 2024) के निधन पर एलएस कॉलेज में एक शोक सभा

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Muzaffarpur 15 January: Munawwar Rana मुनव्वर राणा (1952- 2024) के निधन पर एलएस कॉलेज में एक शोक सभा का आयोजन की गई. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो ओमप्रकाश राय ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में कहा की हिंदुस्तान में मुशायरों की मजबूत परंपरा रही है और हमेशा ऐसे बड़े शायर इन मुशायरों के स्तंभ रहे हैं, जिन्होंने साहित्य और समाज को जोड़े रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

Munawwar Rana मुनव्वर राणा (1952- 2024)

प्रो राय ने कहा कि मुनव्वर राणा ऐसे ही व्यक्तित्व के कवि थे जिन्होंने न सिर्फ साहित्यिक जगत में अपना मक़ाम बनाया बल्कि मुशायरों के जरिए समाज के हर सतह तक साहित्य को पहुंचाया. हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब की पूरी दुनिया में प्रतिनिधित्व करते रहे. ऐसे शायर कम ही हुए हैं जो किताबों के साथ साथ अवामी आम जन तक जाने पहचाने जाते हों. वह अपनी ग़ज़लों के लिए विशेष रूप से प्रशंसित थे, एक काव्यात्मक रूप जिसमें छंदबद्ध दोहे और एक पंक्ति शामिल थी.

Munawwar Rana
Munawwar Rana

आज उनके इंतकाल से उर्दू हिन्दी मुशायरों और कवि सम्मेलनों का एक चमकता सूरज अस्त हो गया. आईक्यूएस समन्वयक प्रो राजीव कुमार ने कहा साहित्य जगत में मजबूत पकड़ रखने वाले मुनव्वर राणा ने एक दर्जन से ज्यादा किताबें प्रकाशित की हैं. इसमें मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए और घर अकेला हो गया शामिल हैं.

श्रद्धांजलि देने वालो में फारसी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एन. अब्बास, डॉ इम्तेयाज, डॉ राजेश्वर कुमार, डॉ नवीन कुमार , डॉ ललित किशोर, डॉ. मुस्तफिज अहद, ऋषि कुमार सहित अन्य शामिल रहे।

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