Muzaffarpur News कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन, पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि संगोष्ठी

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Muzaffarpur News 24 November : कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन और पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में जनसंस्कृति मंच के तत्वाधान में श्रद्धांजलि संगोष्ठी का आयोजन हरिसभा चौक स्थित भाकपा- माले कार्यालय में हुआ। प्रारंभ में एक मिनट का मौन रख कर दिवंगत लेखकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

Muzaffarpur News श्रद्धांजलि संगोष्ठी

लेखक वीरेन नंदा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 70 के दशक में नक्सलबाड़ी आंदोलन के समय क्रांतिकारी वाम विचारों से लैस कई कथाकार सामने आए उनमें विजयकांत एक सशक्त और चर्चित कथाकार के रूप में उभरे। उन्होंने ‘बलैत माखुन भगत’,’ बीच का समर’ और ‘मरीधार’ कहानी की विशेष चर्चा की जिसमें सामंती जुल्म; रूढ़ियों अंधविश्वासों की आड़ में पंडित-पुजारियों संग जमींदारों द्वारा यौन शोषण; उभड़ते दलित चेतना और मजदूर तथा किसानों के उभरते विद्रोह को विषय बनाया। ‘पुरुष’ पत्रिका की चर्चा करते हुए कहा कि उनके संपादन और संपादकीय में क्रांतिकारी गति और धार थी।

Muzaffarpur News कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन, पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि संगोष्ठी
Muzaffarpur News कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन, पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि संगोष्ठी

एक प्रमुख नवगीतकार के रूप में प्रो• शांति सुमन को याद करते हुए प्रो• चितरंजन ने कहा कि जब महिलाएं घरों में कैद रहती थी तब वह मंचों पर उपस्थित हो रही थीं। बाद में उन्होंने जनवादी गीत भी लिखा। उनकी रचनाओं में अभाव, दर्द और संघर्ष झलकता है जो उन्होंने अपने जीवन में जिया। उनको याद करते हुए प्रो• आशीष कुमारी कांता ने कहां की शांति सुमन की रचनाओं में आमजनों की पीड़ा ,दर्द को अभिव्यक्ति मिली।

Muzaffarpur News कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन, पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि संगोष्ठी
Muzaffarpur News कथाकार विजयकांत, कवयित्री शांति सुमन, पटकथा लेखक विजय मित्रा की स्मृति में श्रद्धांजलि संगोष्ठी

लघु पटकथा लेखक विजय मित्रा को याद करते हुए प्रसिद्ध नाट्यकर्मी स्वाधीन दास और कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि उनमें पटकथा लेखन की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने भूमाफिया, वायु प्रदूषण भ्रूण हत्या पर बेहतर पटकथा लिखी। वे अपनी शर्तों पर काम करना चाहते थे और एक स्वाभिमानी कलाकार थे।

श्रद्धांजलि संगोष्ठी को प्रो• कुमार विरल, प्रो.रमेश ऋतंभर, अनिल गुप्ता, प्रकाशक अशोक गुप्ता, संस्कृतिकर्मी बैजू कुमार, कुंदन कुमार और अजय विजेता ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये तीनों साहित्य व लेखन के क्षेत्र में मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि हिन्दी साहित्य की बडी़ हस्ती थे। उनका जाना बडी़ क्षति है।
कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी कामेश्वर प्रसाद ने किया।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाकपा- माले जिला सचिव कृष्ण मोहन, माले नेता सूरज कुमार, पत्रकार विनय कुमार, विनय लांबा , अमन कुमार, राजू कुमार, अधिवक्ता ललितेश्वर मिश्र, मनोज यादव, असलम रहमानी, राजकिशोर प्रसाद, पवन यादव ,शाहनवाज हुसैन, ललित कुमार ,मुकेश कुमार, दिलीप श्रीवास्तव ,बृजकिशोर प्रसाद सहित अन्य लेखक व संस्कृतिकर्मी शामिल थे।

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