RDS College “भारतीय संघवाद के बदलते प्रतिमान: संभावनाएं एवं चुनौतियां” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार

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Muzaffarpur 30 November: RDS College के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में रामदयालु सिंह स्मृति व्याख्यानमाला की पहली श्रृंखला के तहत “भारतीय संघवाद के बदलते प्रतिमान: संभावनाएं एवं चुनौतियां” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता प्रो रजनी रंजन झा, पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष सामाजिक विज्ञान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा कि भारत की संघीय व्यवस्था देश की विविधता को समायोजित करता है।

RDS College राष्ट्रीय सेमिनार

RDS College कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से किया गया। अंग वस्त्रम और पौधे देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।
RDS College कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से किया गया। अंग वस्त्रम और पौधे देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से किया गया। अंग वस्त्रम और पौधे देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।

भारत की संघीय व्यवस्था देश की विविधता को समायोजित करता है: प्रो रजनी रंजन

RDS College अंग वस्त्रम और पौधे देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।
RDS College अंग वस्त्रम और पौधे देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।

1949 में भारत द्वारा संसदीय संघात्मक व्यवस्था को अपनाया गया। भारतीय संविधान इस व्यवस्था को नियंत्रित करता है। भारतीय संघीय शासन व्यवस्था देश की एकता की सुरक्षा और उसे बढ़ावा देना तथा इसके साथ क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा सम्मान करती है। भारत में संघीय व्यवस्था के जरिए विविधता में एकता के संदेश को बढ़ावा दिया जाता है। भारतीय संघीय व्यवस्था की यह खास विशेषता है।
आगे उन्होंने बताया कि संघीय व्यवस्था के जरिए सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है।

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आगे उन्होंने बताया कि संघीय व्यवस्था के जरिए सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है। सांस्कृतिक, भाषाओं और क्षेत्रीय विविधता के बावजूद एकता और अखंडता को बल मिलता है।

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भारतीय राजनीति में गठबंधन सरकारों के आने के बाद, संघवाद की प्रकृति और गतिशीलता में बदलाव आया है। राज्य सरकारों के अलावा पंचायत और नगर पालिकाएं भी समाज के विकास में अपना योगदान दे रही है। केंद्र राज्य संबंधों में सुचारू संबंध सुनिश्चित करने के लिए अंतर राज्य परिषद, वित्त आयोग और नीति आयोग जैसी संस्था को मजबूत करने की दिशा में सरकार के स्तर पर प्रयास हुआ है।

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अध्यक्षीय भाषण करते हुए प्राचार्य डॉ अनिता सिंह ने कहा कि रामदयालु बाबू स्मृति व्याख्यान माला के तहत राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित यह सेमिनार छात्रों और शिक्षकों के लिए काफी उपयोगी साबित हुआ है। उन्होंने मुख्य वक्ता का सारगर्भित वक्तव्य देने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने राजनीति विज्ञान विभाग के सभी शिक्षकों को धन्यवाद भी दिया और कहा कि राजनीति विज्ञान विभाग ने यह निर्णय लिया है कि पूरे वर्ष रामदयाल स्मृति व्याख्यान माला के तहत ग्यारह सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने अन्य विभागों को भी इस दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

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सेमिनार के अंत में प्रश्ननोत्तर श्रृंखला में डॉ नीलिमा झा, डॉ हसन रजा, डॉ सौरभ राज, सत्यम कुमार आदि ने मुख्य वक्ता से सवाल भी पूछे। सवाल जवाब श्रृंखला ने श्रोताओं का ज्ञानवर्धन किया।

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कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ देवेंद्र प्रताप तिवारी, स्वागत एवं विषय प्रवेश डॉ रजनीकांत पांडे एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीरज मिश्रा ने किया।

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इस अवसर पर डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ नीलिमा झा, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह, डॉ आर एन ओझा, डॉ एम एन रजवी, डॉ राजीव कुमार, डॉ मीनू कुमारी, डॉ ईला, डॉ भारती सहेता, डॉ रवीश कुमार एवं छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

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