Muzaffarpur 12 December : मुजफ्फरपुर की चरमराती ट्रैफिक का एक नजारा हर सोमवार को दीखता है पर आज 12 दिसंबर का नजारा कुछ डराने वाला दिखा. क्या यह शहर अब नहीं रहने वाला? ऐसे में हम कितने दिनों तक रह पाएंगे इस शहर में?

क्या इसे ही जनसँख्या विस्फोट कहते है ? क्या इसे राजनितीक अदूरदर्शिता का परिणाम नहीं कह सकते? हर चौराहे पर लाल हरे रंग आपको चिढ़ाते मिलेंगे जिस पर करोडो खर्च हो चुके हैं और अभी कार्य भी नहीं कर रहा है. क्या इस गंभीरता से नहीं लिया जा सकता. महज कागजी खानापूर्ति के अलावा सरकार या प्रसाशन भी कुछ नहीं कर रही है. मुजफ्फरपुर शहर की गिनती अव्वल प्रदूषित शहरों में होती है. हमें नाज होना चाहिए. हम अपने चार चक्को पर से उतर नहीं चल सकते. बड़े शहरों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं.


शहर में आसपास के गावों से आनेवाले लोगों की संख्या अब लाखों में है जो शाम पहर वापस चली जाती है. इसमें आधी से ज्यादा जनता अपनी सवारी और ऑटो से आती है. 10-20 % साइकिल से बाकि ट्रेन का उपयोग करती है.

सड़कों पर अत्रिक्रमण अपनी सीमा कब का छोड़ चुकी है. जिनपर प्रसाशन का लगाम नहीं. सब्जी सड़क पर , दुकानों का सामान सड़क पर, रेडीमेड दुकानों की मनमोहक साड़ियां पहने सूंदर मूर्तियां सड़क पर, इन सब के अलावा पान पुड़िया खाने वालों और छुप चुप कर सिगरेट पिने वालों की बाइक बेतरतीब तरीके से सड़क पर, बस दो मिनट में आ गए.

अप्रशिक्षित ट्रैफिक सँभालने वाले गाड़ियों को इधर उधर भगाते दिखेंगे, इसके बाद फुर्सत मिला तो पेपर भी चेक कर लेते हैं. वैसे इतनी भीड़ हो जा रही की उनके बस का नहीं होता संभालना. ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर छूटने की गुंजाइश रहती है, फाइन होता नहीं. इसलिए ट्रफिक वालों से कोई डरता नहीं ट्रिप्पल सवारी के अलावा.
Ishan Kishan’s Fastest Double Ton, Kohli Now 2nd Highest Centurionhttps://t.co/0DSxA2vNum#ishankishan #IshanKishan200
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) December 10, 2022
स्मार्ट सिटी के नाम पर गड्ढों की बहार है. सड़कनो ने शहर का नाम ही बदल दिया है लोग अब धुलपुर भी कहने लगे. चौथे पांचवें माले तक धुल की पहुँच हो गई. वायु गुणवत्ता के साथ साथ. ध्वनि प्रदुषण अपनी परकाष्ठा पर है. 80-100db डीबी तक जा रहा ध्वनि प्रदुषण का माप. बिना कारण लोगों के हाथ हॉर्न बजाते रहते हैं. बहरे होने वालों की संख्या बढ़ रही है. हर 5 में 2 व्यक्ति 50-70% बहरेपन वाला मिलेगा.
प्रसासन को सोमवार के लिए कमर पहले कसनी चाहिए. आम जनता को भी धीरज और बाइक पर हेलमेट लगा चलनी चाहिए न की लेग गार्ड पर लटका कर. जाम से प्रदुषण और बीमारियां बढ़ रही है. इससे बचना चाहिए. ऐसे में हम कितने दिनों तक रह पाएंगे इस शहर में?