Muzaffarpur 25 August : शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और Bharti Teacher Training College के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय ज्ञान परंपरा और एनइपी 2020 विषय पर सदातपुर स्थित भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में रविवार को प्रांतीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन चार सत्रों में हुआ। भारतीय ज्ञान परंपरा और एनइपी-2020 पर विद्वानों ने अपना विचार प्रस्तुत किया। कार्यशाला में उत्तर बिहार से करीब 100 आचार्य और प्राचार्य शामिल थे। कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार, लंगट सिंह कॉलेज के प्राचार्य प्रो ओपी राय, प्रो जयकांत सिंह, डॉ राजेश कुमार वर्मा, प्रांत संयोजक डॉ दयानंद मेहता और ललित किशोर ने किया।
Bharti Teacher Training College शैक्षिक कार्यशाला
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में मनुष्यता और वसुधा को सुरक्षित एवं संरक्षित करने का गुण है। समाज में समस्या ही उत्पन्न नहीं हो, इसकी चिंता भारतीय ज्ञान परंपरा करती है। एनइपी 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब हमारा मानस बदले। नई शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के अनुरूप बनी है। हमें अपनी भाषा पर निर्भर होने की आवश्यकता है ,तभी देश का समग्र विकास होगा। डॉ राजेश्वर ने कहा कि इसके पहले भी शिक्षा नीति बनी थी, उसमें भी सभी समितियों ने कहा था कि भारत में मूल्य आधारित शिक्षा होनी चाहिए।

लेकिन धरातल पर इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया है। यह भारतीय परंपरा में व्यावहारिकता को प्रश्रय देती है। शिक्षा नीति का उद्देश्य समग्रता की चिंता कर भारतीयता को स्थापित करना होना चाहिए,ताकि विदेशी छात्र भी भारतीय ज्ञान परंपरा का अध्ययन करने भारत में आए। भारत को परम वैभव तक पहुंचाना है ,तो इसके लिए भारत को विश्वगुरु बनाना जरूरी है।

कार्यशाला में विषय प्रवेश कराते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत संयोजक डॉ दयानंद मेहता ने न्यास की कार्यशैली व विकास यात्रा पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सन् 2004 में शुरू हुए शिक्षा बचाओ आंदोलन के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने के लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने काफी अहम योगदान दिया है।
लंगट सिंह कॉलेज के प्राचार्य प्रो ओपी राय ने कहा कि आज हमें गुरु-शिष्य परंपरा पर विचार करने की जरूरत है। व्यवस्था के बदलाव में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय संस्कृति और संवेदना को हमेशा आगे रखना चाहिए। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया के लिए स्कूली स्तर पर शैक्षणिक परिवर्तन की जरूरत है। आज शिक्षकों को गरीब के बच्चों को भी चुनौती के रूप में लेना होगा। तब हम भारतीय परंपरा का अच्छे से निर्वहन कर सकते हैं। हमें शैक्षणिक क्षेत्र में समग्र रूप से विकास करने की जरूरत है,तब हमारा देश विश्वगुरु बनेगा।

मुख्य वक्ता साहित्यकार प्रो जयकांत सिंह ने कहा कि सबसे पहले हमें यह सोचना चाहिए कि शिक्षा में बदलाव के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ही क्यों? इसके पहले भी दो-दो शिक्षा नीति लागू हुई थी ,लेकिन यह पहली नीति है जिसमें शैक्षणिक चिंतन के केंद्र में राष्ट्र व भारतीय परंपरा को रखा गया है। हम वेद की संस्कृति जीते हैं। हमारा प्रथम ज्ञान ही वेद है। यही कारण है कि एनइपी 2020 को भाषा के केंद्र में रख कर बनाया गया है। इस नीति से हम अपने भाव को जानेंगे,पुन: जगेंगे। इससे भारतीयता का विस्तार होगा।
विशिष्ट वक्ता प्रो राजीव कुमार ने कहा कि गुरु – शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। उन्होंने एक कविता के माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा और संबंध को बहुत ही मार्मिक तरीके से सबके सामने रखा।

जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रो प्रो. नागेंद्र शर्मा ने कहा कि हम आत्मीयता का पाठ पढ़ते हैं, आत्मीयता का भाव रखते हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा से भी यही सीख मिलती है। समापन सत्र की अध्यक्षता बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ अपराजिता कृष्णा ने की। कार्यशाला के अन्य वक्ताओं में लंगट सिंह कॉलेज के प्रो पंकज कुमार, सिवान डाइट के प्राचार्य डॉ एसपी सिंह, खगड़िया से डॉ सुरेंद्र कुमार, दरभंगा से डॉ जयशंकर सिंह ने कार्यशाला को संबोधित किया।
Bharti Teacher Training College दो दिवसीय प्रांतीय कार्यशाला https://t.co/0HhM6V9vJc
— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) August 23, 2024
धन्यवाद ज्ञापनभारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजेश कुमार वर्मा ने किया। सत्रों का संचालन सौरव कौशिक, प्रेम कुमार व मनोहर कुमार ने किया। अंत में,शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दायित्वों की घोषणा हुई। एल. एस कॉलेज, मुजफ्फरपुर के भौतिकी के आचार्य प्रो.पंकज कुमार न्यास के बिहार विश्वविद्यालय के संयोजक बनाए गए जबकि इसी विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के आचार्य प्रो राजीव कुमार भारतीय ज्ञान परंपरा विषय के प्रांत संयोजक बनाए गए।
एल. एस कॉलेज, मुजफ्फरपुर के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डा मनीष कुमार झा भारतीय भाषा मंच के प्रांत सह संयोजक बने।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय अधिकारी और भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने सभी दायित्वों की घोषणा की।