Muzaffarpur 3 April : Seminar in MPS Science College महेश प्रसाद सिंहा साइंस कॉलेज के दर्शन विभाग के तत्वावधान में ‘वर्तमान परिपेक्ष में भगवान महावीर के उपदेशों की प्रासंगिकता’ विषय पर केंद्रित द्विदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसके पहले दिन के उद्घाटन सत्र में प्राकृत जैन शास्त्र एवं अहिंसा शोध संस्थान वैशाली की निदेशक प्रोफेसर डॉ मंजू बाला ने कहा कि भगवान महावीर की विलक्षण शक्तियों का प्रभाव उनके जन्म से ही महसूस किया जाने लगा था। उनके द्वारा प्रतिपादित पंचमहाव्रत अत्यंत अनुकरणीय एवं आदरणीय है। भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है।
इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ विश्वनाथ चौधरी ने कहा कि इंद्रियों को जीतने वाला धर्म ही जैन धर्म है तथा यह जन-जन को जिनेंद्र बनाने वाला है। भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित त्रिरत्न सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान एवं समय चरित्र को अपने जीवन में धारण करना ही होगा। अगर मानव लोक कल्याण की कल्पना भी अपने मन में कर ले तो वह एक दिन महावीर बन जाएगा।

बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर राजेश्वर सिंह ने कहा कि भगवान महावीर को यदि समग्रता में जानना है तो हमें उनके अनेकांतवाद को माध्यम बनाना चाहिए। मानव जीव अनंत चतुष्टयों से परिपूर्ण है फिर भी वह सांप्रदायिक क्षेत्रवाद अराजकता आदि अनेक समस्याओं से अपने आचरण कर्मों के कारण घिरा हुआ है। मन के नियंत्रण से ही जीवन संघर्ष अशांति की ओर उन्मुख किया जा सकता है क्रोध व कामना से मुक्ति का मार्ग करुणा ही प्रशस्त करती है।
Seminar in MPS Science College : इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नलिन विलोचन ने अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि सभी धर्मों का मूल लक्ष्य एक ही है तथा वर्तमान में किसी भी धर्म के मूल स्वरूप का अनुपालन करना ही प्रासंगिक है। सभी प्रकार की कुप्रवृत्तियों एवं बुराइयों से बाहर निकलने का रास्ता जैन धर्म ही बताता है। कभी किसी को हमसे कोई नुकसान ना पहुंचे ऐसा हमारा लक्ष्य होना चाहिए जिसे हम स्वयं संतुष्ट एवं खुश रह सकते हैं। आसक्ति विहीन होकर मंत्र मन पर नियंत्रण करना जरूरी है।
द्वितीय शैक्षणिक सत्र में लंगट सिंह महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन में जब तक तप ना हो, तो उसकी सार्थकता संदेहपूर्ण होती है। ज्ञान की यात्रा अंतर यात्रा है तथा आध्यात्मिक यात्रा अंतर जगत की यात्रा है। दर्शनशास्त्र हमें अज्ञात से अज्ञेय की तरफ ले जाती है। भगवान महावीर के वचनों का उद्देश्य ही आत्मदर्शन है।
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) April 1, 2023
संगोष्ठी में स्वागत भाषण कार्यक्रम सहयोग डॉक्टर नवीन कुमार ने किया एवं संचालन डॉ शेखर शंकर मिश्रा ने किया। आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डॉ आशुतोष सिंह ने महावीर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी के लिए कार्यक्रम आयोजक सहित सभी को बधाई दी। इस सत्र में अन्य विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय से आए शिक्षक तथा छात्रों ने भी अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी में डॉ अमरनाथ शर्मा, डॉ आलोक रंजन त्रिपाठी, डॉक्टर राजकुमार सिंह, डॉ अब्दुल बरकात, डॉ आशुतोष, डॉ संदीप कुमार, डॉ भारत भूषण, डॉ अमर बहादुर शुक्ला, डॉ रंजीत कुमार डॉ रुचिता राज डॉ आशा कुमारी डॉ इंदिरा कुमारी, डॉ राजेश कुमार, डॉ पंकज कुमार, रजनीकांत, राजीव रंजन, ज्योतिष कुमार, राजीव कुमार, विक्रम कुमार, उज्जवल कुमार , मुकेश कुमार, अरुण कुमार, मोहम्मद जाकिर, पीसी शुक्ला, जितेंद्र कुमार, जय कुमार, सुबोध कुमार ,दीपक कुमार, सहित अन्य लोग उपस्थित थे। सभी का धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर मुखलाल राय ने किया।
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