Muzaffarpur 1 April : आरडीएस कॉलेज इतिहास विभाग के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी “आजादी का राष्ट्रीय आंदोलन- गांधी एवं महिलाएं” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरविंद मोहन ने कहा कि गांधी ने आंदोलन के जरिए आधी आबादी को सशक्त बनाया। महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से गांधी ने कहा कि महिलाएं पर्दा से बाहर निकले मगर बेपर्दा न हो जाएं। महिलाओं के अधिकारों के मामलों में आज जो भी वातावरण है, उसकी नींव गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन और रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से पहले ही रख दी थी।

गांधी के प्रेरणा से 1931 के नमक आंदोलन में 25 हजार महिलाओं ने भाग लिया। महिलाओं की इतनी बड़ी भागीदारी विश्व इतिहास के किसी आंदोलन में देखने को नहीं मिलती। भारत से लेकर विदेशों में भी महिलाओं ने गांधी पर विश्वास किया और उनके कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया जिसमें कमला देवी, कस्तूरबा, अवंतिका बाई, साराबाई, सरला देवी, सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, डॉ सुशीला नैयर आदि का नाम उल्लेखनीय है।

विशिष्ट वक्ता डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह से लेकर आजादी के आंदोलन तक गांधी ने महिलाओं के नेतृत्व का बड़ा समूह खड़ा कर दिया। गांधी ने महिलाओं को भारतीय संस्कृति का अक्षय कोष कहा है। भारतीय परंपरा के माध्यम से बेहतर समाज के निर्माण के लिए गांधी हमेशा खड़े रहते हैं। वर्तमान में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता कहां तक सही है? इस पर विचार करना पड़ेगा।
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— RAJESH GOLTOO (@GOLTOO) March 31, 2023
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अमिता शर्मा ने कहा कि आज की संगोष्ठी से इन बातों पर बल मिला है कि गांधी महिला सशक्तिकरण के सच्चे पक्षधर थे। वर्तमान परिवेश में महिलाएं हर क्षेत्र में अपने को पहली पंक्ति में खड़ा करने की कोशिश में कामयाब हो रही है। उन्होंने संगोष्ठी में आए सभी वक्ताओं का आभार प्रकट किया और कहा कि इस प्रकार के संगोष्ठी से छात्रों और शिक्षकों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिला है।
संगोष्ठी में विषय प्रवेश कराते हुए प्रो संजय कुमार सुमन ने कहा कि भ्रमित कराने सकल जन अर्थात सभी लोगों को भ्रमित कर दो। गांधी के परिप्रेक्ष्य में प्रायः सभी विषयों पर यही नीति अपनाई जा रही है। गांधी ने महिलाओं को आंदोलन से जोड़कर बेहतर और सशक्त समाज बनाने का संकल्प लिया था।
संगोष्ठी में सामाजिक चिंतक शाहिद कमाल, डॉ आलोक प्रताप सिंह, डॉ अनीता सिंह, डॉ रामकुमार, डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ इंद्राकुमारी, डॉ राजीव कुमार, डॉ अजमत अली, डॉ राकेश कुमार सिंह,डॉ अनुपम, डॉ मनीष कुमार शर्मा, डॉ ललित किशोर, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ हसन रजा, डॉ पवन कुमार आदि ने विचार रखे।
संगोष्ठी में आगत अतिथियों का स्वागत डॉ एम एन रिजवी ने किया। संचालन डॉ कहकशां ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन बुसटा महासचिव डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता ने किया।
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