Muzaffarpur 14 September : सुनीता किडनी कांड के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल में. सकरा के बरियारपुर में सुनीता की किडनी निकालने की लोमहर्षक वारदात के बाद मुजफ्फरपुर स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गई है। इधर सुनीता को एम्स में भर्ती कराने की प्रयास कर रहे हैं मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन । मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन प्रयास कर रहे हैं कि दोनों किडनी निकाले गए सुनीता की इलाज अब पटना एम्स में है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं 4 सितंबर को निजी नर्सिंग होम जो फर्जी नर्सिंग होम की तरह दिखता है, बरियारपुर में सुनीता की दोनों किडनी को निकाल लिया था बिना जानकारी दिया। उस शुभकांत नर्सिंग होम में पुलिस के ताला लगा दिया है और सील कर दिया है। सभी जहां छोटे-मोटे ऑपरेशन भी नहीं हो सकते हैं वहां किडनी कैसे निकाला जा सकता है।

किडनी निकालने जैसी घटना होने के बाद स्वास्थ्य विभाग अब हर कोणों से जांच कर रही है। फर्जी नर्सिंग फॉर्म पर दनादन छापेमारी की गई है । सकरा इलाके के कई निजी नर्सिंग होम में कल सिविल सर्जन मुजफ्फरपुर ने छापेमारी की। सबहा में निजी नर्सिग होम में छापेमारी के दौरान एक महिला को भर्ती कर गंभीर बीमारी में दी जाने वाली दवा चलाई जा रही थी। बिना डॉक्टर के इस तरह का इलाज तो हर गांव शहर में हो रहे हैं, जहां दुकानदार ही मरीजों का इलाज करते हैं बिना डॉक्टर के सलाह के । बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स भी चलाते हैं ।
घटना के 10 दिन बाद राजनीतिक दल के प्रतिनिधि प्रतिनिधि सुनीता की हालचाल लेने पहुंचे इनमें सांसद अजय निषाद और पूर्व विधायक का बेबी कुमारी शामिल हैं ।
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मरीजों के इलाज में फर्जी नर्सिंग होम फर्जी डॉक्टर और इस तरह के कई फर्जी हथियार भी शामिल होते हैं जिन पर लगाम लगाना जरूरी हो गया है। एक उदाहरण, जब आप एक मेडिसिन शॉप खोलना चाहेंगे, सामान्य तरीके से आप एक दवा की दुकान नहीं खोल सकते हैं बिना फर्जी तरीका अपनाएं आप कोई दवा की दुकान नहीं खोल सकते है। सरकार के नियम के अनुसार दवा की दुकान पर एक फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य है। फार्मासिस्ट की डिग्री का उपाय कुछ मासिक दर पर आसानी से दलालों के माध्यम से मिल जाते है। फिर ड्रग इंस्पेक्टर के आगे पीछे दौड़ना पड़ेगा दलालों को लेकर । उनकी मर्जी पर है आपको लाइसेंस मिले या ना मिल। इसके बाद डॉक्टरों की जांच नहीं होती है फर्जी है या क्या कहां से डिग्री ली है।
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बिहार मुजफ्फरपुर के आसपास के सभी नर्सिंग होम में ज्यादातर इलाज डॉक्टर के नीचे काम करने वाले नर्स कंपाउंडर या दवा दुकानदार ही करते है। डॉक्टर तो कुछ समय के लिए आते हैं।
प्रधानमंत्री जन औषधि की दुकानों खोलने में भी फर्जीवाड़ा है। यहाँ भी अन्य दवा दुकान की तरह आपको दौड़ लगनी पड़ेगी नोडल अफसर के पास । आधिकारिक वेबसाइट पर देखेंगे की स्लॉट खाली नहीं है पर केंद्र खुलते जा रहे है। जो खोलना चाहते हैं वह खोल नहीं पा रहे हैं. एक जन औषधि केंद्र वाले कहीं और अन्य नामों से दुकान लेने में आगे हो जाते है। क्योंकि दुकान लेने लेने की सेटिंग आती ह। कहाँ, किससे, किसको क्या करना है उन्हें इस बात की जानकारी है। मेडिसिन, फार्मास्यूटिकल और मरीजों का इलाज एक बहुत बड़ा मकड़जाल है इसमें जो मरीज गलत हाथ में फंस गया उसे निकलना मुश्किल होता है।
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