Muzaffarpur Nagar Nigam News: मुजफ्फरपुर नगर निगम बैठक में दिनभर उतार-चढ़ाव

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Muzaffarpur 7 June : मुजफ्फरपुर नगर निगम की बोर्ड की बैठक मेयर और विधायक की अध्यक्षता में हुई. मुजफ्फरपुर नगर आयुक्त और मुजफ्फरपुर मेयर के बीच की तकरार बोर्ड नगर निगम बोर्ड के अंतिम बैठक में सबके सामने आ ही गई. नगर निगम की बोर्ड की बैठक में दिनभर उतार-चढ़ाव देखने को मिला. मुजफ्फरपुर नगर निगम की बोर्ड की बैठक में जनता के हाथ निराशा ही हाथ लगी. मुजफ्फरपुर नगर निगम बोर्ड बैठक में जनता के हक़ में कोई काम नहीं हो सकता.

मुजफ्फरपुर के मेयर राकेश कुमार पिंटू ने 25 पार्षदों के साथ निगम बोर्ड की बैठक की. मुजफ्फरपुर नगर निगम की बोर्ड बैठक में नगर विधायक विजेंद्र चौधरी भी मौजूद थे. बैठक के कुछ समय पहले नगर आयुक्त ने एक सुचना जारी की जिसमें उन्होंने बताया कि अधिकांश पार्षदों को 72 घंटे पहले बैठक में आने की सुचना दी जाती है तब बैठक वैधानिक माना जाता है.

Chhoti Kalyani Chowk

लगभग 12:00 बजे विधायक विजेंद्र चौधरी के साथ-साथ कई पार्षद नगर भवन पहुंचे और विलंब से बैठक की शुरुआत हुई. बैठक में नगर आयुक्त नहीं शामिल हुए. बैठक में निगम कार्यालय का कोई कर्मचारी भी मौजूद नहीं था. मुजफ्फरपुर नगर निगम के पार्षद और नगर आयुक्त के बीच की तकरार की स्थिति ऐसी हो गई है कि नगर आयुक्त को सूचना चिपकनी पड़ती है.


बैठक में यूजर चार्ज नहीं वसूलने का निर्णय लिया गया. नगर विधायक विजेंद्र चौधरी ने कहा कि आयुक्त मुख्यमंत्री के खिलाफ काम कर रहे हैं. उधर नगर आयुक्त ने कहा कि यूजर चार्ज की वसूली जारी रहेगी.एक पार्षद ने कहा कि टैक्स लगाने के पक्षधर हैं. राशि वसूल होने पर ही सुविधा बहाल हो सकती है. एक वार्ड पार्षद ने यह भी कहा कि वार्ड के 80% इलाकों में पानी की सुविधा नहीं है ऐसे में जनता पर टैक्स का भार थोपना गलत बात है. एक पार्षद ने यह भी कहा कि नगर आयुक्त लोकतंत्र के हत्यारे हैं.


गौरतलब है कि नगर निगम के चौथे बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने में अभी दो ही दिन बचे हैं. नगर आयुक्त ने विवेक रंजन ने 28 वार्डों से जुड़ी 15-15 लाख सड़क नाला योजना की निविदा को एक साथ रद्द कर दिया. जिससे सभी पार्षदों में आक्रोश व्याप्त हो गया. आय-व्यय में संतुलन रखने के लिए प्रशासनिक कारणों से योजनाओं को रद्द किया गया है.


आपको बता दें मुजफ्फरपुर में स्मार्ट सिटी निर्माण के नाम पर शहर भर की हालत नारकीय हो गई है.निर्माण एजेंसी समय पर काम पुरा नहीं कर प् रहे जिसका नतीजा सहवासियों को झेलना पर रहा है.जैम से भी मुक्ति नहीं मिल रहा है.ट्रैफिक की कोई व्यवस्था नहीं है.


सार्वजनकि शौचालय है ही नहीं शहर में.कार्यकाल पूरा हो गया. एक भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा सका है.

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